2007 का साल भारतीय ई-कॉमर्स के लिए अहम था, जब Flipkart ने अपने सफर की शुरुआत की। देश की विशाल जनसंख्या और ई-कॉमर्स में संभावनाओं को देखते हुए 2013 में Amazon जैसे इंटरनेशनल जायंट ने भी भारत में कदम रखा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक भारतीय स्टार्टअप, Meesho, ने इन दोनों दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया।
Meesho, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जिसने 2024 के दूसरे क्वार्टर में $5 मिलियन (लगभग ₹442 करोड़) का प्रॉफिट कमाया। यह कहानी केवल सस्ते प्रोडक्ट्स या नकली सामानों की नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक दूरदर्शी सोच और अनोखी बिजनेस स्ट्रैटेजी है।
Meesho का सफर: शुरुआत से सफलता तक
Meesho की नींव IIT दिल्ली से पढ़े दो इंजीनियरों, संजीव बर्नवाल और विदित आत्रे, ने रखी। उन्होंने देखा कि भारत के छोटे व्यापारी ई-कॉमर्स रिवोल्यूशन का हिस्सा बनने से काफी दूर हैं। 2015 में उन्होंने “Fashnear” नाम से एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जो छोटे दुकानदारों को ऑनलाइन सेलिंग का मौका देता था। हालांकि, यह बिजनेस मॉडल फ्लॉप हो गया क्योंकि लोग लोकल दुकानों से प्रोडक्ट ट्राई करके खरीदना ज्यादा पसंद करते थे।
इस असफलता से सबक लेते हुए, 2016 में उन्होंने Meesho लॉन्च किया। Meesho का लक्ष्य छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों (SMEs) को एक प्लेटफॉर्म देना था, जहां वे बिना किसी कमीशन के अपने प्रोडक्ट्स बेच सकें।
0% कमीशन पॉलिसी: Meesho की सफलता की कुंजी
Meesho ने अपने प्लेटफॉर्म पर 0% कमीशन पॉलिसी लागू की। यह एक क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जैसे Amazon और Flipkart, सेलर्स से हर प्रोडक्ट पर कमीशन लेते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर एक प्रोडक्ट की कीमत ₹300 है, तो Amazon उस पर ₹40 तक का कमीशन लेता है। लेकिन Meesho पर यह शुल्क नहीं है।
यह पॉलिसी छोटे व्यापारियों को प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करने में बेहद सफल रही। इससे न केवल Meesho का यूजर बेस बढ़ा, बल्कि प्रोडक्ट्स की कीमतें भी कम हुईं, जो ग्राहकों को आकर्षित करने का दूसरा बड़ा कारण बना।
ग्राहकों को सस्ते प्रोडक्ट्स कैसे मिलते हैं?
Meesho पर प्रोडक्ट्स अन्य प्लेटफॉर्म्स की तुलना में लगभग 30% तक सस्ते होते हैं। इसका श्रेय Meesho की 0% कमीशन पॉलिसी को जाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक वॉलेट बनाने की लागत ₹200 है, तो Meesho पर इसे सीधे ₹300 में बेचा जा सकता है, जबकि दूसरे प्लेटफॉर्म पर इसे ₹340-₹350 में बेचना पड़ता।
Meesho का राजस्व मॉडल: प्रमोशन और ऑर्गेनिक ग्रोथ का संतुलन
भले ही Meesho अपने सेलर्स से कमीशन नहीं लेता, लेकिन उसका मुख्य रेवेन्यू स्रोत प्रमोशन है। सेलर्स अपने प्रोडक्ट्स की विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए प्रमोशन का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, Meesho यह सुनिश्चित करता है कि प्लेटफॉर्म पर ऑर्गेनिक और प्रमोशनल सेल्स के बीच संतुलन बना रहे।
छोटे शहरों से बड़े मार्केट तक
Meesho ने शुरुआत से ही छोटे शहरों और कस्बों को टारगेट किया, जहां Flipkart और Amazon ज्यादा फोकस नहीं करते थे। यह मार्केट छोटे व्यापारियों और ग्राहकों से भरा हुआ था, जिन्हें Meesho ने जोड़ने का काम किया।
इसे भी पढ़ें:- टीवीएस की कहानी: संघर्ष, जुनून और सफलता की मिसाल
Meesho की यात्रा का सबक
Meesho की कहानी बताती है कि एक मजबूत बिजनेस मॉडल और सही रणनीति से कैसे बड़ी कंपनियों को चुनौती दी जा सकती है। Meesho ने दिखाया कि ग्राहकों और व्यापारियों की जरूरतों को समझकर और उन्हें एक सरल और लाभदायक समाधान देकर मार्केट में अपनी जगह बनाई जा सकती है।
आज Meesho भारत का सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है। इसकी सफलता के पीछे एक मजबूत विचार, ग्राहकों और व्यापारियों की समझ, और नए मार्केट को एक्सप्लोर करने की क्षमता है।
क्या आप भी अपनी वेबसाइट बनाना चाहते हैं? इस कहानी से प्रेरणा लें और अपना ऑनलाइन बिजनेस शुरू करें!
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। कृपया अपने व्यावसायिक निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।