एक मिठाई की दुकान से भारत की अग्रणी यूनिवर्सिटी तक: लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की कहानी

एक छोटे से शुरूआत की बड़ी कहानी

कौन सोच सकता था कि पंजाब में मिठाइयां बेचने वाला एक मारवाड़ी परिवार एक ऐसी यूनिवर्सिटी की स्थापना करेगा, जहां 40 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई करने आएंगे? हम बात कर रहे हैं लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) की, जो आज भारत की शीर्ष 25 यूनिवर्सिटीज में शामिल है। यहां 30,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जिनमें 1,800 से ज्यादा विदेशी छात्र हैं।

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एलपीयू का कैंपस किसी छोटे शहर जैसा लगता है। यहां मॉल, हॉस्पिटल, होटल और कई अन्य सुविधाएं मौजूद हैं, जो खास बात यह है कि इन्हें छात्रों द्वारा ही संचालित किया जाता है। यह सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि छात्रों के लिए एक सीखने और जीवन जीने की जगह है।

मिठाई की दुकान से शुरुआत

एलपीयू की कहानी शुरू होती है 10×10 की एक छोटी मिठाई की दुकान से। बलदेव राज मित्तल, जो राजस्थान से पंजाब आए थे, ने लवली स्वीट्स की शुरुआत की। अपने अनोखे तरीके से दुकान चलाने और सिर्फ 2 घंटे के लिए इसे खोलने के कारण, उन्होंने ग्राहकों में क्यूरियोसिटी पैदा की। यह रणनीति इतनी सफल रही कि 70 के दशक तक लवली स्वीट्स जालंधर की सबसे प्रसिद्ध मिठाई की दुकान बन गई।

व्यापार में विस्तार

लवली स्वीट्स की सफलता के बाद, बलदेव राज ने अपने बेटों नरेश, रमेश, और अशोक मित्तल को व्यापार में शामिल किया। जल्द ही, मिठाई के व्यापार के साथ-साथ बेकरी और ऑटोमोबाइल डीलरशिप में भी उन्होंने कदम रखा। अशोक मित्तल की लगन और मेहनत से परिवार ने बजाज और मारुति की डीलरशिप हासिल की और पंजाब में नंबर वन ऑटोमोबाइल डीलर बन गए।

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शिक्षा के क्षेत्र में कदम

1999 में अशोक मित्तल ने महसूस किया कि पंजाब में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है। उन्होंने फगवाड़ा में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट नामक एक संस्थान की स्थापना की। हालांकि शुरुआती दिनों में छात्र नहीं मिल पाए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

कुछ समय बाद, अशोक मित्तल ने अपने संस्थान को एक निजी यूनिवर्सिटी के रूप में रजिस्टर करने का फैसला किया। पंजाब में यह पहली प्राइवेट प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी बनने जा रही थी। कई चुनौतियों और तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से मंजूरी लेने के बाद, 2005 में यह संस्थान लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के रूप में स्थापित हुआ।

एलपीयू का अनोखा मॉडल

एलपीयू ने न केवल शिक्षा देने पर ध्यान दिया, बल्कि छात्रों को गारंटीड प्लेसमेंट का वादा भी किया। यह उनकी सबसे बड़ी रणनीति थी, जिसने छात्रों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया। आज एलपीयू के पास ₹3 करोड़ का हाईएस्ट इंटरनेशनल प्लेसमेंट रिकॉर्ड है।

चुनौतियों का सामना

इतने बड़े पैमाने पर छात्रों को प्लेसमेंट दिलाना आसान नहीं था। इसके लिए एलपीयू ने एक विशेष कैंपस प्लेसमेंट टीम बनाई, जो कॉरपोरेट्स से संपर्क करके उन्हें यूनिवर्सिटी में आने के लिए प्रेरित करती है।

एलपीयू की सफलता का राज

एलपीयू की सफलता का मुख्य कारण है उनका प्रोफेशनल अप्रोच और छात्रों को करियर-ओरिएंटेड शिक्षा देने पर जोर। इसके अलावा, अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्योग से जुड़ी पढ़ाई ने इसे छात्रों और कंपनियों दोनों के बीच लोकप्रिय बनाया।

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नतीजा

आज एलपीयू केवल एक यूनिवर्सिटी नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है, जहां छात्र अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। मिठाई की दुकान से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूनिवर्सिटी तक की यह यात्रा दिखाती है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचना और मनोरंजन के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी तथ्यों और घटनाओं पर आधारित है, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों से ली गई है। किसी भी संगठन, व्यक्ति, या ब्रांड से संबंधित संवेदनशील जानकारी को साझा करने का उद्देश्य नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले स्वायत्त जांच और विवेक का उपयोग करें।

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