आज की दुनिया में रॉट्स चाइल्ड फैमिली को शायद ही कोई नहीं जानता, लेकिन इस परिवार की कहानी बेहद रोचक और प्रेरणादायक है। एक समय था जब यह परिवार यूरोप के एक छोटे से गंदे गली में रहने वाला था, जहां ना तो उन्हें बाहर निकलने की इजाजत थी और ना ही व्यापार करने की। लेकिन आज यह परिवार न केवल ब्रिटेन जैसे सुपर पावर देशों को युद्ध के लिए फंडिंग करता है, बल्कि इनके पास 1800 से भी ज्यादा महल हैं और यह यूरोप के प्रमुख देशों में अपना डॉमिनेंस बना चुके हैं। फिर भी इस परिवार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, और किसी भी रॉट्स चाइल्ड का नाम कभी फोर्ब्स के रिचेस्ट पर्सन्स की लिस्ट में नहीं आया। तो, यह किस तरह संभव हुआ कि एक गली में रहने वाला परिवार इतना समृद्ध हो गया? आइए जानते हैं उनकी यात्रा के बारे में।
रॉट्स चाइल्ड फैमिली का आरंभ
रॉट्स चाइल्ड फैमिली की कहानी 23 फरवरी 1744 को शुरू होती है, जब फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में मेयर एमसेल रॉट्स चाइल्ड का जन्म हुआ। उस समय यूरोप में यह धारणा थी कि जो लोग क्रिश्चियनिटी को नहीं मानते, वे समाज के लिए खतरे की तरह माने जाते थे। इसी कारण यह परिवार फ्रैंकफर्ट के एक छोटी सी गली में रहने पर मजबूर हो गया था, जहां लगभग 3000 जूई लोग रहते थे। यहां पर मेयर एमसेल और उनका परिवार 11 फीट चौड़े घर में रहते थे।
मेयर के पिता, एमसेल मजस रॉट्स चाइल्ड, एक सफल व्यापारी थे और मनी एक्सचेंज का कारोबार करते थे। हालांकि, यूरोप में यहूदी लोगों को किसी भी अन्य व्यापार में सफलता हासिल करने में कठिनाई होती थी, लेकिन मनी एक्सचेंज और करेंसी ट्रेडिंग में उन्हें सफलता मिली। जब एमसेल का निधन हुआ, तो मेयर एमसेल को 12 साल की उम्र में अपने परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी।
संघर्ष और शिक्षा का सफर
मेयर की शिक्षा एक पारंपरिक जूई संस्थान में हुई थी, लेकिन उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद वह एक जर्मन शहर हनोवर में गए, जहां उन्होंने सीमन वल्फ ओपेनहाइमर बैंक में काम किया। यहां उन्होंने फाइनेंस और विदेशी व्यापार के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद, 1763 में वह फ्रैंकफर्ट वापस लौटे और रेयर कॉइन्स (ऐतिहासिक और दुर्लभ सिक्कों) में व्यापार करना शुरू किया।
व्यापारिक सफलता की शुरुआत
मेयर एमसेल रॉट्स चाइल्ड ने जल्दी ही क्राउन प्रिंस विल्हेम ऑफ हेस के साथ साझेदारी की और उनके वित्तीय मामलों को संभालने लगे। मेयर ने गोल्ड को खरीदने की एक नई रणनीति अपनाई। जब भी प्रिंस गोल्ड खरीदने का विचार करते थे, मेयर पहले ही काफी गोल्ड खरीद लेते थे और फिर जब यह खबर बाजार में फैलती थी, तो गोल्ड की कीमत बढ़ जाती थी। इसके बाद, मेयर अपने गोल्ड को बेचकर भारी मुनाफा कमा लेते थे।
बैंकिंग और वैश्विक विस्तार
इस सफलता के बाद, मेयर ने अपनी बैंकिंग सेवा को बड़े पैमाने पर फैलाने का सोचा। उन्होंने अपने बेटों को विभिन्न देशों में भेज दिया। उनका तीसरा बेटा, नेथन रॉट्स चाइल्ड, 1798 में लंदन चला गया और यहां एक नया बैंक खोल लिया। नेथन ने बहुत ही चालाकी से ब्रिटेन और यूरोप के युद्धों के दौरान गवर्नमेंट्स को फंडिंग देने का काम किया, और इससे उनका बैंक बहुत ही तेजी से बढ़ा।
वॉर के दौरान रणनीति और मुनाफा
नेपोलियन के साथ यूरोप में चल रहे युद्धों के दौरान, रॉट्स चाइल्ड ने फंडिंग देने का एक नया तरीका अपनाया। वे युद्ध से संबंधित सभी जानकारी पहले से हासिल कर लेते थे, जिससे वे समय से पहले सही निर्णय ले पाते थे। बैटल ऑफ वाटरलू के बाद, जब नेथन को यह जानकारी मिली कि ब्रिटेन जीत चुका है, उन्होंने पहले अफवाह फैलाई कि ब्रिटेन हार चुका है। इस अफवाह के चलते, स्टॉक मार्केट में अफरातफरी मच गई और लोगों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए। तब नेथन ने बड़ी मात्रा में ब्रिटिश स्टॉक में निवेश किया, और जैसे ही युद्ध के परिणाम सामने आए, ब्रिटिश स्टॉक मार्केट में उछाल आ गया, जिससे रॉट्स चाइल्ड को भारी मुनाफा हुआ।
रॉट्स चाइल्ड का साम्राज्य
आज रॉट्स चाइल्ड परिवार की कुल संपत्ति लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। यह परिवार न केवल ब्रिटेन, बल्कि फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों में भी अपना प्रभाव कायम कर चुका है। वे 1800 से भी ज्यादा महल और प्रॉपर्टी के मालिक हैं। इसके अलावा, उनके पास विभिन्न प्रकार के व्यवसायों का साम्राज्य है, और वे दुनिया भर के प्रमुख बैंकों और कंपनियों को नियंत्रित करते हैं।
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निष्कर्ष
रॉट्स चाइल्ड फैमिली की कहानी हमें यह सिखाती है कि एक छोटे से गरीब परिवार से शुरुआत कर भी आप सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं, बस आपको सही मौके और रणनीतियों का चयन करना होगा। इस परिवार ने अपनी कड़ी मेहनत, बुद्धिमानी और रणनीतिक सोच से न केवल खुद को समृद्ध किया, बल्कि पूरी दुनिया में अपना नाम भी रोशन किया।
डिस्क्लेमर:
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