भारत-इज़राइल संबंध: कैसे भारत इज़राइल के बिजनेस और इंफ्रास्ट्रक्चर को खरीद रहा है और इससे क्या बेनिफिट्स हो रहे हैं

जब इज़राइल का निर्माण हो रहा था, तब भारत इसके पक्ष में नहीं था। हालांकि, 1961 और 1965 में हुए इंडिया-पाकिस्तान युद्धों के दौरान इज़राइल ने भारत की मदद की। इसके बावजूद, कई वर्षों तक दोनों देशों के बीच कोई विशेष राजनीतिक संबंध नहीं थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में इन देशों के रिश्ते मजबूत हुए हैं। आज इज़राइल भारत का दूसरा सबसे बड़ा मिलिट्री इक्विपमेंट सप्लायर है और इसके अलावा कई अन्य सेक्टर में भी व्यापार कर रहा है। वर्तमान में, भारत ने इज़राइल के साथ अपने संबंधों में एक नया मोड़ लिया है और अब भारत धीरे-धीरे इज़राइल के बिजनेस और इंफ्रास्ट्रक्चर को खरीद रहा है।

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इस बदलते माहौल को देखकर यह सवाल उठता है कि भारत इज़राइल के बिजनेस और इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे खरीद रहा है और इससे भारत को कौन-कौन से फायदे मिल सकते हैं?

भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और इसके लाभ

भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन चुका है। इसके पास दुनिया के तीसरे सबसे बड़े यूनिकॉर्न्स भी मौजूद हैं। भारतीय जीडीपी का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, जो अब 3.18 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है। इस वृद्धि का मुख्य कारण भारतीय कंपनियों का बढ़ता हुआ रेवेन्यू और मार्केट साइज है। भारत आज दुनिया की प्रमुख कंपनियों को अधिग्रहित करने में सबसे आगे है और यह ट्रेंड इज़राइल तक पहुंच चुका है।

भारत के प्रमुख अधिग्रहण

भारत ने हाल के वर्षों में इज़राइल की कई बड़ी कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर को खरीद लिया है। इनमें से एक प्रमुख अधिग्रहण है गौतम अडानी द्वारा इज़राइल के हेफा पोर्ट का 1.2 बिलियन डॉलर में खरीदा जाना। यह पोर्ट इज़राइल का दूसरा सबसे बड़ा पोर्ट है और यह सालाना 30 मिलियन टन कार्गो हैंडल करता है। अडानी का यह अधिग्रहण न सिर्फ उनके ग्लोबल प्रेजेंस को मजबूत करेगा, बल्कि भारत और इज़राइल के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा।

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रिलायंस और फार्मास्युटिकल कंपनियों का योगदान

इज़राइल की फार्मास्युटिकल कंपनी तारो फार्मास्युटिकल को भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी, सनफार्मा ने 347 मिलियन डॉलर में खरीदा है। इस अधिग्रहण से भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग को इज़राइल के उन्नत रिसर्च और तकनीकी विकास का लाभ मिलेगा।

इसके अलावा, रिलायंस ने इज़राइल की तकनीकी कंपनी पनाया को 200 मिलियन डॉलर में खरीदा है। पनाया एक क्लाउड-बेस्ड क्वालिटी मैनेजमेंट सर्विस प्रदान करती है, और इस अधिग्रहण से भारत को तकनीकी क्षेत्र में लाभ हो सकता है।

भारत का रक्षा क्षेत्र

भारत ने इज़राइल की रक्षा कंपनियों में भी निवेश किया है। उदाहरण के तौर पर, टाटा ग्रुप ने इज़राइल की डिफेंस कंपनी लाइट एंड स्ट्रांग को 2019 में खरीदा था। इसके अलावा, टाटा ने इज़राइल में कई प्रमुख परियोजनाओं में निवेश किया है, जिनमें से एक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) टेक्नोलॉजी के विकास के लिए किया गया है।

भारतीय कंपनियों के इज़राइल में निवेश

इसके अलावा, भारतीय कंपनियों जैसे जैन इरिगेशन, कल्याण ज्वेलर्स, और लार्सन एंड टर्बो (एल एंड टी) ने इज़राइल में निवेश किया है। इन कंपनियों का उद्देश्य इज़राइल के विभिन्न सेक्टर्स में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना है।

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निष्कर्ष

भारत और इज़राइल के बीच का यह नया व्यापारिक गठजोड़ भारत के लिए कई फायदे लेकर आ रहा है। यह न केवल व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रभावी बना रहा है। इन अधिग्रहणों से भारत को तकनीकी, रक्षा, और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है, जो भारतीय उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में और मजबूत बनाएंगे।

अस्वीकृति:
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