अनिल अंबानी का नाम एक समय दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिना जाता था। 2008 में उनकी नेटवर्थ 42 अरब डॉलर के करीब थी, और वह दुनिया के छठे सबसे धनी व्यक्ति थे। लेकिन कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ कि उनका साम्राज्य टूट गया और उन्हें अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ा? यह कहानी न सिर्फ सफलता और असफलता की है, बल्कि इसमें पारिवारिक विवाद, गलत फैसले, और तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉजी का भी जिक्र है। आइए, अनिल अंबानी के उत्थान और पतन की कहानी को विस्तार से समझते हैं।
धीरूभाई अंबानी की विरासत और विभाजन की शुरुआत
धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखी और इसे देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाया। उनके दो बेटे, मुकेश और अनिल अंबानी, अपने-अपने तरीके से बिजनेस में योगदान दे रहे थे। मुकेश अंबानी जहां कंपनी के अंदरूनी कामकाज को संभालते थे, वहीं अनिल अंबानी लाइमलाइट में रहकर पब्लिक डील्स और एक्सटर्नल मैनेजमेंट देखते थे।
2002 में धीरूभाई अंबानी का निधन हुआ, और इसके बाद दोनों भाइयों के बीच मतभेद बढ़ने लगे। परिवार की माँ, कोकिलाबेन अंबानी, ने विवाद को सुलझाने के लिए कंपनी को दो हिस्सों में बांट दिया। मुकेश अंबानी को पेट्रोलियम, रिफाइनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे स्थिर बिजनेस मिले, जबकि अनिल अंबानी को टेलीकॉम, एंटरटेनमेंट और पावर जैसे उभरते हुए सेक्टर मिले।
अनिल अंबानी का गोल्डन पीरियड
बंटवारे के बाद, अनिल अंबानी ने तेजी से ग्रोथ की। उनका टेलीकॉम बिजनेस, रिलायंस कम्युनिकेशन, देश का नंबर वन ऑपरेटर बन गया। उन्होंने 3G टेक्नोलॉजी लाने के लिए भारी निवेश किया। इसके अलावा, उन्होंने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में भी कदम रखा और स्टीवन स्पीलबर्ग के साथ पार्टनरशिप में कई हॉलीवुड फिल्मों का निर्माण किया।
उनकी कंपनी रिलायंस पावर का IPO लॉन्च होते ही सेकेंड्स में सब्सक्राइब हो गया, जो इंडियन कैपिटल मार्केट में आज भी एक रिकॉर्ड है। वे राज्यसभा के सदस्य भी बने और अपने पॉलिटिकल रिलेशंस का इस्तेमाल कर बिजनेस को बढ़ावा दिया।
गलत फैसले और टेक्नोलॉजी में पिछड़ना
लेकिन अनिल अंबानी की तेज़ी से बढ़ती कामयाबी टिक नहीं पाई। उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन 2G और 3G टेक्नोलॉजी पर आधारित थी, जबकि बाजार में 4G का दौर शुरू हो गया। अनिल अंबानी ने टेक्नोलॉजी में बदलाव को नजरअंदाज किया, और उनकी कंपनी मार्केट में पिछड़ने लगी।
2017 में मुकेश अंबानी ने Jio के साथ टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री की। Jio के सस्ते प्लान और बेहतर नेटवर्क ने पूरे टेलीकॉम इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया। पहले से ही संघर्ष कर रही रिलायंस कम्युनिकेशन इस प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर पाई और दिवालिया हो गई।
पारिवारिक विवाद और कोर्ट केस
भाइयों के बीच हुए समझौतों में एक शर्त यह थी कि वे एक-दूसरे के क्षेत्रों में 10 साल तक प्रवेश नहीं करेंगे। लेकिन इस शर्त के खत्म होते ही मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा। इसके अलावा, गैस प्राइस विवाद ने अनिल अंबानी की आर्थिक हालत और खराब कर दी। मुकेश अंबानी ने गैस की कीमत दोगुनी कर दी, जिससे अनिल अंबानी को बड़ा नुकसान हुआ। कोर्ट में भी फैसला मुकेश अंबानी के पक्ष में गया।
अनिल अंबानी का पतन
गलत निवेश, तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी, और पारिवारिक विवादों ने अनिल अंबानी की संपत्ति को खत्म कर दिया। 2020 में एक कोर्ट केस के दौरान उन्होंने खुद को “दीवालिया” घोषित किया और बताया कि उनके पास अपने वकीलों की फीस चुकाने तक के पैसे नहीं हैं।
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सीखने लायक बातें
अनिल अंबानी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता को बनाए रखना किसी भी यात्रा का सबसे कठिन हिस्सा है। बाजार की जरूरतों को समझना, बदलती तकनीक को अपनाना, और सही फैसले लेना किसी भी बिजनेस की सफलता के लिए जरूरी है।
उनकी कहानी एक प्रेरणा और चेतावनी दोनों है—प्रेरणा कि किस तरह उन्होंने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया, और चेतावनी कि गलतियां और आत्ममुग्धता किसी को भी नीचे ला सकती हैं।
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