बौद्ध धर्म: एक प्राचीन और प्रभावशाली धर्म का विस्तार

बौद्ध धर्म दुनिया के प्राचीनतम और सबसे प्रभावशाली धर्मों में से एक है। इसे गौतम बुद्ध ने लगभग 2,500 साल पहले भारत में आरंभ किया था। यह धर्म आज भी विश्व के 7% से अधिक लोगों द्वारा पालन किया जाता है, जिनकी संख्या करीब 54 करोड़ है। लेकिन यह धर्म इतना बड़ा कैसे बना, इसके सिद्धांत क्या हैं, और इसकी शिक्षाओं का महत्व क्या है? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

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गौतम बुद्ध का जीवन: राजसी शुरुआत से ज्ञान की प्राप्ति तक

गौतम बुद्ध का जन्म 480 ईसा पूर्व के आसपास लुंबिनी (आज के नेपाल) में इक्ष्वाकु वंश के राजघराने में हुआ। उनके पिता शुद्धोधन और मां माया देवी थीं। जन्म के समय उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया। कहा जाता है कि एक भविष्यवाणी ने उनके पिता को चिंतित कर दिया था, जिसमें बताया गया था कि सिद्धार्थ राजगद्दी छोड़कर मानवता को धर्म का मार्ग दिखाएंगे।

इस भविष्यवाणी के चलते, राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ को हर प्रकार के दुख और कष्ट से दूर रखा। उनका जीवन राजमहल की सुख-सुविधाओं में बीता। लेकिन 29 वर्ष की आयु में, जब पहली बार उन्होंने अपने महल से बाहर कदम रखा, तो उन्होंने जीवन की सच्चाई देखी—बुजुर्ग, बीमार और मृत व्यक्ति। इस अनुभव ने उनके मन में गहरी उद्विग्नता पैदा की और उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य समझने के लिए राजपाट त्याग दिया।


ज्ञान की प्राप्ति और बौद्ध धर्म का आरंभ

गौतम बुद्ध ने 6 वर्षों तक कठोर तपस्या की। पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। इस ज्ञान में उन्होंने समझा कि जीवन के दुखों का कारण हमारी इच्छाएं और मोह हैं। उन्होंने यह भी जाना कि इच्छाओं का अंत करके सभी कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसी ज्ञान की अवस्था को “निर्वाण” कहा गया, जो बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य है।

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बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य

गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायियों को चार आर्य सत्य सिखाए, जो बौद्ध धर्म का आधार हैं:

  1. दुख: जीवन दुखों से भरा है, जिसमें जन्म, बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु जैसे कष्ट शामिल हैं।
  2. दुख का कारण: इच्छाएं और मोह ही दुखों के मूल कारण हैं।
  3. दुख का अंत: इच्छाओं का त्याग करके दुखों से मुक्ति संभव है।
  4. दुख से मुक्ति का मार्ग: इसे “अष्टांगिक मार्ग” कहते हैं, जिसमें सही दृष्टि, सही विचार, सही वाणी, सही कर्म, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही ध्यान शामिल हैं।

बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखाएं

बौद्ध धर्म समय के साथ दो मुख्य शाखाओं में विभाजित हो गया:

  1. थेरवाद: यह बौद्ध धर्म की सबसे पुरानी शाखा है, जो प्राचीन पाली ग्रंथों का अनुसरण करती है। थेरवाद के अनुयायी गौतम बुद्ध को महापुरुष मानते हैं। यह शाखा मुख्य रूप से श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस में प्रचलित है।
  2. महायान: इस शाखा में मान्यता है कि निर्वाण प्राप्त करने के लिए बोधिसत्वों की मदद की आवश्यकता होती है। यह चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत और भूटान में लोकप्रिय है।

बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रभाव

गौतम बुद्ध ने 45 वर्षों तक अपनी शिक्षाएं दीं, जिसके बाद उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म को एशिया और अन्य हिस्सों में फैलाया। खासतौर पर दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया में इसकी मजबूत पकड़ है। तिब्बती बौद्ध धर्म में गुरु, जिन्हें “लामा” कहा जाता है, का विशेष महत्व है।

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निष्कर्ष

बौद्ध धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है, जो लोगों को दुखों से मुक्ति और शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है। इसकी सरल और व्यावहारिक शिक्षाएं इसे आज भी प्रासंगिक बनाए हुए हैं। चाहे थेरवाद हो या महायान, हर शाखा में इसका मूल संदेश एक ही है—दुखों का अंत और निर्वाण की प्राप्ति।

Disclaimer

यह लेख केवल जानकारी और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत जानकारी का उद्देश्य किसी भी धार्मिक मान्यताओं या विचारों को ठेस पहुंचाना नहीं है। सभी तथ्यों को विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त किया गया है, लेकिन लेख में दी गई जानकारी की सटीकता की पुष्टि के लिए पाठकों को स्वतंत्र रूप से जांच करने की सलाह दी जाती है। किसी भी मतभेद या प्रश्न के लिए कृपया विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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