भारत की धरती पर कई ऐसे लोग हुए हैं जिनकी कहानियां सुनकर आप हैरान रह जाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं धनीराम मित्तल की, जो हरियाणा के झज्जर में एक समय का चर्चित नाम बन गया। उनकी कहानी इतनी अजीबो-गरीब और रोमांचक है कि इसे सुनकर फिल्मी स्क्रिप्ट का एहसास होता है। तो चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी के उन मोड़ों के बारे में, जिनसे वह भारत के सबसे बड़े ठगों में से एक बन गए।
झज्जर की जेल और नया जज
1964 की बात है। हरियाणा के झज्जर शहर की जेल से कैदी खुशी-खुशी भाग रहे थे। वजह थी एक नया “जज”, जिसने महज एक महीने में 2470 मामलों की सुनवाई करके 2000 छोटे-मोटे अपराधियों को बाइज्जत बरी कर दिया। खास बात यह थी कि इस “जज” ने बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में आरोपियों को भारी सजा सुनाई। शहर में इस नए जज की खूब चर्चा हुई, लेकिन 40 दिन बाद वह अचानक गायब हो गया।
असल में, यह नया जज कोई और नहीं बल्कि धनीराम मित्तल थे।
धनीराम की शुरुआत
धनीराम हरियाणा के भिवानी शहर का रहने वाला एक महत्वाकांक्षी युवक था। 1964 में कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उसने कई परीक्षाएं दीं, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। फिर, उसने अखबार में एक चोर “नटवरलाल” की कहानी पढ़ी, जिसने ताजमहल और लाल किला तक बेचने का झांसा दिया था। धनीराम ने उसे अपना प्रेरणा स्रोत मान लिया।
जालसाजी का खेल
धनीराम ने हैंडराइटिंग एनालिसिस का कोर्स किया और फर्जी दस्तावेज बनाकर ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर नौकरी पाने तक जालसाजी शुरू की। 1968 में वह भारतीय रेलवे में स्टेशन मास्टर बन गया और रेलवे की संपत्ति चुराने लगा।
कुछ सालों बाद, उसने इस काम से ऊबकर कार चोरी के खेल में कदम रखा। धनीराम की चोरी का तरीका बेहद अनोखा था—दिन के उजाले में आत्मविश्वास के साथ कार का ताला खोलना।
नकली जज बनने की चाल
1980 में धनीराम ने अखबार में पढ़ा कि झज्जर के एक एडिशनल सेशन जज पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उसने खुद को हाई कोर्ट का रजिस्ट्रार बताते हुए जज को छुट्टी पर भेजने का फर्जी आदेश जारी कर दिया। अगले ही दिन, वह नए जज के रूप में कोर्ट पहुंचा और 2000 बेल ऑर्डर पास कर दिए।
इन मामलों में कई ऐसे लोग शामिल थे, जो धनीराम के साथ कार चोरी में शामिल थे।
पुलिस और धनीराम की लड़ाई
धनीराम का जालसाजी और चोरी का खेल लंबा चला। 40 सालों में उस पर 125 से ज्यादा केस दर्ज हुए, और उसे 95 बार गिरफ्तार किया गया। जेल से भागना और पुलिस को चकमा देना उसके लिए बाएं हाथ का खेल बन गया।
2016 में, 77 साल की उम्र में, उसे आखिरी बार दिल्ली में एक मारुति एस्टीम कार चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया।
अंतिम दिन और धरोहर
85 साल की उम्र में धनीराम मित्तल का निधन हो गया। उनकी जिंदगी भले ही अपराध से भरी रही हो, लेकिन उनकी कहानियां भारतीय इतिहास में एक अनोखी मिसाल बन गईं। उन्हें “इंडियन चार्ल्स शोभराज” और “सुपर नटवरलाल” जैसे नामों से भी जाना गया।
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शायरी
“अपनी जिद का धनी था धनीराम,
चोर नई, चैन से बैठता, मांगे हर दम मोर।
कोई नटवरलाल कहे, कोई कहे शोभराज,
चोरों के सरताज का, उसके सर पर ताज।”
धनीराम की कहानी हमें यह सिखाती है कि किस्मत और मेहनत से बढ़कर सही रास्ता चुनना जरूरी है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल मनोरंजन और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी ऐतिहासिक और काल्पनिक घटनाओं का मिश्रण है और इसे वास्तविक घटनाओं या व्यक्तियों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति, समुदाय, या संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाना नहीं है। पाठक इस सामग्री को केवल एक रोचक कहानी के रूप में लें। यदि इसमें दी गई किसी जानकारी से असुविधा हो, तो हम उसके लिए खेद व्यक्त करते हैं।