रुपे ने कैसे Visa और Mastercard को टक्कर दी?

भारत में डिजिटल पेमेंट का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। पहले जहां Visa और Mastercard जैसी विदेशी कंपनियां भारत के कार्ड पेमेंट सिस्टम पर राज करती थीं, वहीं अब रुपे कार्ड (RuPay) ने पूरे गेम को बदल दिया है। महज कुछ सालों में रुपे ने भारत में 60% से ज्यादा मार्केट शेयर हासिल कर लिया है, जिससे Visa और Mastercard की हालत खराब हो गई है।

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Visa और Mastercard ने तो अमेरिकी सरकार से भारत सरकार की रुपे को बढ़ावा देने की शिकायत भी कर दी, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे ये विदेशी कंपनियां डरने लगीं? आइए जानते हैं पूरी कहानी।


रुपे कार्ड क्या है?

रुपे भारत का अपना पेमेंट नेटवर्क है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 2012 में लॉन्च किया था। इसका मुख्य उद्देश्य देश को कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ाना और डिजिटल ट्रांजैक्शन को सस्ता और सुरक्षित बनाना था।

रुपे भी Visa और Mastercard की तरह ही एक कार्ड पेमेंट नेटवर्क है, जो ग्राहकों और व्यापारियों के बीच पेमेंट को प्रोसेस करता है। लेकिन इसके कुछ खास फायदे हैं, जो इसे विदेशी कंपनियों से बेहतर बनाते हैं।

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रुपे की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत में रुपे को लॉन्च करने के पीछे कई बड़े कारण थे:

  1. डेटा सुरक्षा – Visa और Mastercard जैसी कंपनियां भारतीय ग्राहकों का डेटा विदेशी सर्वर पर स्टोर करती थीं, जिससे सिक्योरिटी थ्रेट बना रहता था। रुपे ने इस समस्या का समाधान किया।
  2. कम ट्रांजैक्शन चार्ज – Visa और Mastercard हर ट्रांजैक्शन पर Merchant Discount Rate (MDR) के रूप में भारी फीस वसूलते थे, जिससे भारतीय व्यापारियों को नुकसान होता था। रुपे के आने से यह चार्ज बहुत कम हो गया।
  3. स्वदेशी समाधान – भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने के लिए अपना खुद का पेमेंट नेटवर्क चाहिए था, जो रुपे ने पूरा किया।

कैसे बढ़ा रुपे का दबदबा?

रुपे को सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने कई ठोस कदम उठाए:

1. सरकार की योजनाओं में रुपे को प्रमोट किया गया

2014 में शुरू हुई प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए लाखों बैंक खातों के साथ केवल रुपे डेबिट कार्ड दिया गया। इससे रुपे कार्ड का तेजी से विस्तार हुआ।

2. बैंकिंग सिस्टम में मजबूती

सरकार ने बैंकों को ज्यादा से ज्यादा रुपे कार्ड जारी करने के लिए प्रोत्साहित किया। 2022 तक भारत में 32 करोड़ से ज्यादा रुपे कार्ड जारी किए जा चुके थे, जो कुल कार्ड मार्केट का 34% था।

3. MDR चार्ज को किया गया खत्म

Visa और Mastercard के मुकाबले रुपे का MDR पहले से ही बहुत कम था। बाद में सरकार ने MDR को पूरी तरह खत्म कर दिया, जिससे छोटे व्यापारियों ने तेजी से रुपे को अपनाया।

4. कैशबैक और डिस्काउंट ऑफर

2018 में GST काउंसिल ने रुपे कार्ड से पेमेंट करने पर 20% तक कैशबैक देने की घोषणा की। इससे रुपे कार्ड का इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ गया।

5. यूपीआई और रुपे का शानदार कॉम्बिनेशन

UPI (Unified Payments Interface) की जबरदस्त सफलता के बाद रुपे को भी कई डिजिटल पेमेंट ऐप्स से जोड़ा गया, जिससे इसका इस्तेमाल और बढ़ गया।


Visa और Mastercard को क्यों हो रहा नुकसान?

रुपे के बढ़ते दबदबे से Visa और Mastercard की परेशानी बढ़ गई है। इन कंपनियों की भारतीय बाजार पर मजबूत पकड़ थी, लेकिन रुपे ने सस्ते ट्रांजैक्शन चार्ज, सरकारी समर्थन और डेटा सिक्योरिटी की वजह से इन्हें कड़ी टक्कर दी है।

Visa और Mastercard ने अमेरिका सरकार से शिकायत भी की कि भारत सरकार रुपे को नेशनलिज्म से जोड़कर प्रमोट कर रही है, जिससे उनका बिजनेस प्रभावित हो रहा है। लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया कि रुपे को प्रमोट करने का मकसद भारतीय ग्राहकों और व्यापारियों को ज्यादा सुरक्षित और सस्ता पेमेंट ऑप्शन देना है।

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रुपे का भविष्य क्या है?

रुपे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तार कर रहा है।

  • भूटान, नेपाल, सिंगापुर और UAE जैसे देशों में रुपे कार्ड को स्वीकार किया जाने लगा है।
  • NPCI ने कई देशों के पेमेंट सिस्टम के साथ पार्टनरशिप की है ताकि भारतीय नागरिक विदेशों में भी रुपे कार्ड का इस्तेमाल कर सकें।

अगर इसी रफ्तार से रुपे बढ़ता रहा, तो आने वाले सालों में यह Visa और Mastercard को पूरी तरह पीछे छोड़ सकता है।


निष्कर्ष

रुपे ने भारतीय पेमेंट इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव लाया है। सरकारी योजनाओं, कम ट्रांजैक्शन चार्ज और डिजिटल इंडिया की मुहिम के चलते यह तेजी से आगे बढ़ रहा है। Visa और Mastercard जैसी कंपनियां इससे घबराई हुई हैं, लेकिन भारत के लिए यह आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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