Big Basket: भारत का सबसे बड़ा ऑनलाइन ग्रोसरी प्लेटफ़ॉर्म और इसके सामने आने वाली चुनौतियाँ

यदि आप कभी भी ऑनलाइन फल और सब्जियाँ ऑर्डर करने का सोचते हैं, तो सबसे पहले आपके दिमाग में बिग बास्केट का नाम आता है। बैंगलोर से शुरू हुआ यह व्यवसाय आज भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन फूड और ग्रोसरी स्टोर्स में से एक बन चुका है। यह प्रतिदिन लगभग 4 लाख ऑर्डर्स डिलीवर करता है और भारत की पहली ग्रोसरी डिलीवरी कंपनी है, जहां ग्राहक अगले 24 घंटों में अपने घर पर आवश्यक वस्तुएं मंगवा सकते हैं।

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बिग बास्केट का इतिहास

बिग बास्केट की शुरुआत 1999 में हरी मैनन और उनके चार दोस्तों द्वारा एक ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट “फब एम” के रूप में हुई थी। हालांकि यह विचार समय से आगे था और उस वक्त इंटरनेट का उपयोग बहुत कम था, जिससे यह प्लेटफॉर्म ज्यादा लोगों तक नहीं पहुँच सका। इसके बाद, वे साउथ इंडिया में “फब मॉल” नाम से ग्रोसरी स्टोर्स स्थापित करने में सफल रहे। वर्तमान में यह स्टोर्स “मोर” ब्रांड नाम से आदित्य बिरला ग्रुप के तहत काम कर रहे हैं।

2011 में, ये दोस्त फिर से मिलकर बिग बास्केट की शुरुआत करते हैं, जब स्मार्टफोन मार्केट में बूम आ चुका था और लोग अब ई-कॉमर्स से परिचित हो चुके थे। इस बार उनका उद्देश्य ऑनलाइन ग्रोसरी मार्केट में अपनी जगह बनाना था। शुरुआती दौर में बिग बास्केट “पर्चेज टू ऑर्डर” मॉडल पर काम करता था, बाद में इसे “इन्वेंटरी मॉडल” में बदला गया, जिसमें वेयरहाउस में सामान स्टोर किया जाता था और फिर ग्राहकों को डिलीवर किया जाता था।

बिग बास्केट का व्यवसाय मॉडल

बिग बास्केट ने कई नए सेगमेंट्स में भी प्रवेश किया है। जैसे कि “बीबी डेली”, एक सब्सक्रिप्शन बेस्ड प्लेटफॉर्म, जो रोज़मर्रा के उत्पादों की डिलीवरी करता है। इसके अलावा, “बीबी इंस्टेंट” के तहत स्मार्ट वेंडिंग मशीनों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ग्राहक बिना किसी कैश और कांटेक्ट के वस्तुएं खरीद सकते हैं।

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बिग बास्केट की चुनौतियाँ

इस सफलता के बावजूद, बिग बास्केट को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। एक मुख्य चुनौती है “डिस्काउंट-हंग्री” यूज़र। भारतीय ग्राहक अक्सर पहले ऑर्डर पर भारी डिस्काउंट का लाभ उठाते हैं और फिर स्थायी रूप से लोकल दुकानों से सामान खरीदने लगते हैं। इसके अलावा, उच्च ऑपरेटिंग लागत, स्कैटर्ड कस्टमर बेस, और लोकल किराना स्टोर्स के साथ प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याएं भी बिग बास्केट के लिए परेशानी का कारण बनती हैं।

बिग बास्केट के नुकसान और कारण

बिग बास्केट को हर साल भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। उदाहरण के लिए, 2021 में इसका नुकसान 200 करोड़ रुपये था, और 2023 में यह आंकड़ा 1535 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था। इसके मुख्य कारणों में मुख्य ऐप पर प्रतिस्पर्धा, जैसे रिलायंस और ज़ोमैटो, और सप्लाई चेन समस्याएं शामिल हैं।

बिग बास्केट का भविष्य और संभावनाएं

बिग बास्केट ने अपनी स्टोर विस्तार नीति पर भी ध्यान दिया है, और आने वाले वर्षों में ऑफलाइन रिटेल मार्केट में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। इसके अलावा, कंपनी वेयरहाउस विस्तार और बेहतर स्टॉकिंग पर भी काम कर रही है, ताकि ग्राहकों को हमेशा प्रोडक्ट उपलब्ध हो सके।

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हम क्या सीख सकते हैं?

बिग बास्केट से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं, जैसे कि एक मजबूत सप्लाई चेन और प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर फोकस रखना। साथ ही, टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल और ग्राहकों की बदलती जरूरतों को समझना भी इसके विकास का हिस्सा रहा है।


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