कभी कंप्यूटर प्रोसेसर के बादशाह के रूप में मशहूर Intel, आज धीरे-धीरे अपनी ताकत खोता जा रहा है। दिल्ली की नेहरू प्लेस मार्केट में एक 20 साल का लड़का कंप्यूटर खरीदने आया, लेकिन हर दुकानदार उसे एक ही सलाह दे रहा था – Intel को छोड़कर किसी और ब्रांड का प्रोसेसर लो। ऐसा क्यों हुआ? आखिर वह कंपनी जो IBM, HP, और Dell जैसी बड़ी कंपनियों की पसंद थी, इतनी कमजोर कैसे हो गई?
Apple से मिली सबसे बड़ी चुनौती
Intel का पतन तब शुरू हुआ जब Apple ने अपने MacBooks में Intel प्रोसेसर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। स्टीव जॉब्स ने पहले ही Intel की धीमी इनोवेशन स्पीड को भांप लिया था और अपने खुद के प्रोसेसर बनाने की योजना बना ली थी। Apple ने ARM-आधारित M1 चिप को पेश किया, जो Intel के प्रोसेसर से ज्यादा तेज, पावरफुल और एनर्जी एफिशिएंट साबित हुआ। यह Intel के लिए एक बड़ा झटका था।
टेक्नोलॉजी में पिछड़ना बना सबसे बड़ी गलती
एक समय था जब Intel प्रोसेसर चिप्स को खुद डिजाइन करता था और खुद ही उनका उत्पादन भी करता था। लेकिन 2010 के बाद कंपनी इनोवेशन में पिछड़ने लगी। जबकि TSMC और AMD जैसे प्रतिस्पर्धी 7nm और 5nm चिप्स पर काम कर रहे थे, Intel अभी भी 10nm चिप्स में ही अटका हुआ था।
चिप टेक्नोलॉजी में nm (नैनोमीटर) का मतलब ट्रांजिस्टर के आकार से होता है। छोटे ट्रांजिस्टर ज्यादा पावरफुल होते हैं और कम बिजली की खपत करते हैं। 5nm चिप्स इतने पतले होते हैं कि वे इंसान के बाल से 200 गुना पतले होते हैं। TSMC और AMD ने UV लिथोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल कर छोटे और ज्यादा एफिशिएंट चिप्स बनाए, जबकि Intel इस नई तकनीक को अपनाने में देर कर चुका था।
AMD और NVIDIA ने Intel को किया आउट
AMD और NVIDIA जैसी कंपनियों ने Intel को चिप युद्ध में पीछे छोड़ दिया। AMD के Ryzen प्रोसेसर अधिक परफॉर्मेंस और कम कीमत में बेहतर विकल्प साबित हुए। वहीं, GPU (Graphics Processing Unit) की मांग तेजी से बढ़ने लगी, और NVIDIA ने इस मार्केट में कब्जा जमा लिया। क्रिप्टो माइनिंग, AI, और क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए GPU ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ, लेकिन Intel इस ट्रेंड को पकड़ने में असफल रहा।
Intel का नया बिजनेस मॉडल और असफलता
Intel ने अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव करते हुए अपनी मैन्युफैक्चरिंग तकनीक को मॉडर्न बनाने की कोशिश की। कंपनी ने अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, और इजराइल में नए चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स पर 20 बिलियन डॉलर खर्च किए, लेकिन फिर भी यह TSMC और Samsung से पीछे रह गया।
इसके अलावा, Intel ने UV तकनीक को अपनाने में काफी देरी कर दी, जिससे बाजार में उसकी पकड़ कमजोर पड़ती गई। बड़ी कंपनियों को जो ऑर्डर Intel से मिलने चाहिए थे, वे अब AMD और TSMC को मिलने लगे।
स्टॉक प्राइस और फाइनेंशियल लॉस
Intel की परफॉर्मेंस खराब होने के कारण इसका स्टॉक प्राइस भी तेजी से गिरा। पहले $72 तक पहुंच चुका शेयर अब केवल $20 पर आ गया। इसके अलावा, कंपनी को 10 बिलियन डॉलर की कॉस्ट-कटिंग भी करनी पड़ी। कंपनी के CEO पैट गेल्सिंगर को भी इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन जब उन्हें 18 महीने की सैलरी और बोनस के रूप में कई मिलियन डॉलर का एग्जिट पैकेज दिया गया, तो शेयरहोल्डर्स नाराज हो गए और उनके खिलाफ केस फाइल कर दिया।
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क्या Intel दोबारा उठ पाएगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या Intel दोबारा अपनी खोई हुई पहचान वापस पा सकता है? अमेरिकी सरकार भी नहीं चाहती कि चिप मैन्युफैक्चरिंग पूरी तरह से TSMC और Samsung के हाथ में चली जाए। इसलिए, अमेरिका ने Intel को सपोर्ट करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या Intel अपनी इनोवेशन स्पीड को बढ़ाकर दोबारा इतिहास रच पाएगा, या फिर यह सिर्फ एक बीते जमाने की कहानी बनकर रह जाएगा। आपका इस बारे में क्या कहना है? हमें कमेंट में जरूर बताएं!