आज के समय में जब दुनिया के बड़े देश एक-दूसरे से दोस्ती और व्यापार की बातें कर रहे हैं, वहीं चीन हिमालय क्षेत्र में कुछ ऐसा कर रहा है जो भारत के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी साबित हो सकता है। क्या चीन वाकई भारत के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है? क्या वो हमें चारों तरफ से घेरने की साजिश कर रहा है? और क्या अमेरिका का भारत को सुपरपावर बनाने का सपना भी इसी लड़ाई का हिस्सा है? आइए, पूरी कहानी को एक-एक करके सरल और साफ़ भाषा में समझते हैं।
अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत एक सुपरपावर बने?
साल था 2018। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सिर्फ एक साल हुआ था पद संभाले, और तभी अमेरिका ने अचानक कहा कि वह भारत को एक “ग्लोबल सुपरपावर” बनाना चाहता है। इस बात पर विश्वास करना मुश्किल है, क्योंकि वही अमेरिका जो हमेशा पाकिस्तान का साथ देता रहा, भारत की न्यूक्लियर साइंटिस्ट डॉ. होमी भाभा और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत से भी जुड़ा रहा, अब हमें दुनिया का नेता क्यों बनाना चाहता है?
इसका जवाब छुपा है चीन की उन तस्वीरों में जो कुछ महीनों पहले लीक हुई थीं। बीजिंग से करीब 32 किलोमीटर दूर चीन एक 1500 एकड़ में फैली मेगा मिलिट्री सिटी बना रहा है, जो अमेरिका के पेंटागन से 10 गुना बड़ी है। और यह सिर्फ एक सिटी नहीं है, चीन ने भारत की सीमा के पास कई ऐसे मिलिट्री सिटीज बना डाले हैं।
चीन ने भारत के चारों तरफ क्यों बनाए मिलिट्री बेस?
2023 में लीक हुई सैटेलाइट इमेज से पता चला कि चीन अक्साई चिन जैसे विवादित भारतीय क्षेत्र में अंडरग्राउंड बंकर, मिसाइल लॉन्चर्स, फाइटर जेट्स के रनवे और हेलिपोर्ट बना रहा है। अब आप सोचिए, जब चीन की एयरफोर्स हमारे बॉर्डर से इतनी नजदीक होगी, तो वो कितनी आसानी से भारत पर हमला कर सकती है।
चीन की ये तैयारियां सिर्फ दिखावे की नहीं हैं। चीन ने 37 मिलिट्री सिटीज बना रखी हैं, जो भारत को चारों तरफ से घेर चुकी हैं। इन सभी बेस का लोकेशन ऐसा है कि भारत के बड़े शहर चीन की मिसाइलों की रेंज में आ जाते हैं।
फिर सवाल उठता है – आखिर चीन को इतनी तैयारी की ज़रूरत क्यों?
चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी है। उसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल, इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, और सैकड़ों वॉरशिप्स हैं। फिर भी वो पेंटागन से 10 गुना बड़ी मिलिट्री सिटी क्यों बना रहा है?
इसका जवाब छुपा है उसकी रणनीति में – “Five Fingers and Palm Strategy”.
क्या है चीन की “Five Fingers and Palm Strategy”?
चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ ज़ेडोंग का मानना था कि तिब्बत चीन का “हथेली” है, और लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान, और अरुणाचल प्रदेश उसकी पाँच उंगलियाँ हैं – जिन्हें वो वापस पाना चाहता है। इस रणनीति के तहत चीन ने पहले तिब्बत को अपने कब्जे में लिया, फिर 1962 में भारत पर हमला किया और अक्साई चिन छीन लिया। अब उसकी नजर है अरुणाचल प्रदेश और बाकी “उंगलियों” पर।
अमेरिका क्यों शामिल हुआ इस खेल में?
चीन की इस रणनीति को देखकर अमेरिका भी सतर्क हो गया। क्योंकि अगर चीन हिमालय क्षेत्र में ताकतवर हो गया, तो अमेरिका के इंडो-पैसिफिक डॉमिनेशन पर खतरा पैदा हो जाएगा। इसी वजह से अमेरिका अब चाहता है कि भारत मजबूत बने ताकि वो चीन को टक्कर दे सके। सीआईए और रॉ जैसे इंटेलिजेंस एजेंसियां अब मिलकर एक “सीक्रेट वॉर” चला रही हैं – खासतौर पर हिमालय के आसपास के क्षेत्रों में।
पहले दोस्त थे, अब दुश्मन क्यों बने?
1949 में जब चीन एक कम्युनिस्ट देश बना, तो भारत पहला लोकतांत्रिक देश था जिसने उसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी। लेकिन तब भी चीन की असली सोच छिपी हुई थी। दोस्ती की आड़ में वो अपनी “फाइव फिंगर्स” की रणनीति पर काम करता रहा। 1959 में माओ ज़ेडोंग ने भारत को दोस्ती का दिखावा करते हुए लिखा था कि हमारा असली दुश्मन अमेरिका है, भारत नहीं। लेकिन ये सिर्फ एक दिखावा था। असली मंशा भारत के हिमालयी क्षेत्रों पर कब्जा करना थी।
नतीजा – 1962 की जंग और आज की सच्चाई
1962 में चीन ने भारत पर हमला किया और अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। अब उसने एयरबेस, हेलीपोर्ट, और अंडरग्राउंड बंकर तक बना लिए हैं। और यही नहीं, वह भारत की सीमा के अंदर तक निर्माण कर चुका है।
निष्कर्ष: क्या हमें डरना चाहिए या तैयार रहना चाहिए?
आज चीन की हर एक हरकत यह बताती है कि वह सिर्फ डिप्लोमेटिक बातचीत में यकीन नहीं रखता। वो हर समय एक कदम आगे रहने की कोशिश करता है – चाहे वो टेक्नोलॉजी हो या मिलिट्री प्लानिंग।
भारत के लिए ये समय सिर्फ बातें करने का नहीं, बल्कि तैयार रहने का है। हमें भी अपनी सीमाओं को उतना ही मज़बूत बनाना होगा जितना चीन ने किया है। क्योंकि असली लड़ाई बॉर्डर पर नहीं, बल्कि रणनीति और तैयारी में जीती जाती है।