2020 की वो भयानक यादें जब पूरी दुनिया थम गई थी — शायद हम सबके दिल-दिमाग में आज भी ताज़ा हैं। सुनसान सड़कें, अस्पतालों की चीखें, मास्क, सैनिटाइज़र, लॉकडाउन और हर दिन अपनों को खोने की खबरें। ऐसा समय जिसने हमें हिला दिया था। लेकिन समय के साथ वैक्सीन आई, ज़िंदगी दोबारा पटरी पर लौटी और हम सबने राहत की सांस ली।
मगर अब फिर से सवाल उठ रहे हैं — क्या कोविड-19 वापस आ रहा है? क्या हमें एक बार फिर उसी डर से गुजरना होगा?
कोविड के केस फिर क्यों बढ़ रहे हैं?
हाल ही में सिंगापुर, हांगकांग और चीन जैसे देशों में कोविड के मामलों में तेजी आई है। भारत में भी धीरे-धीरे केस सामने आने लगे हैं। मई 2025 के पहले हफ्ते में सिंगापुर में हजारों नए केस दर्ज हुए हैं। हांगकांग में भी मामलों की संख्या बढ़ रही है। भारत में 19 मई 2025 तक 257 एक्टिव केस सामने आए हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि खतरा पूरी तरह टला नहीं है।
भारत में सेलिब्रिटी कोविड के शिकार — चिंता बढ़ी!
जब आम लोग बीमार होते हैं तो चर्चा नहीं होती, लेकिन जब बड़े नाम इसकी चपेट में आते हैं तो देश सतर्क हो जाता है।
- ट्रेविस हेड, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर और सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज कोविड पॉजिटिव पाए गए।
- शिल्पा शिरोडकर, बिग बॉस 18 की कंटेस्टेंट और जानी मानी अभिनेत्री, ने खुद बताया कि वह कोविड से संक्रमित हैं।
- हरभजन सिंह, पूर्व क्रिकेटर, ने भी सोशल मीडिया पर लोगों से सतर्क रहने और मास्क पहनने की अपील की है।
इन खबरों ने जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है — क्या हमें फिर वही पुराने नियमों की तरफ लौटना होगा?
नया वैरिएंट JN.1 — कितना खतरनाक है?
इस बार जो कोविड का नया वैरिएंट सामने आया है, उसका नाम है JN.1, जो ओमिक्रोन का सब-वैरिएंट है।
- यह बहुत तेजी से फैलता है,
- पुरानी वैक्सीन की इम्यूनिटी को चकमा देता है,
- और WHO के मुताबिक, इसमें स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन है जिससे यह और ज़्यादा असरदार हो गया है।
हांगकांग में कोविड के 80 नए मामले इसी वैरिएंट से जुड़े हैं। भारत में भी इसके फैलने की संभावना जताई जा रही है।
इम्यूनिटी क्यों कमजोर हो रही है?
भारत में अभी भी सिर्फ 22% लोगों ने बूस्टर डोज़ लिया है। यही कारण है कि जनता की इम्यूनिटी कमजोर होती जा रही है।
साथ ही, मौसम का बदलाव, भीड़-भाड़ और सफर की बढ़ती आदतें वायरस को फैलने में मदद कर रही हैं।
और सबसे बड़ी वजह — लापरवाही।
हमने मास्क, हैंड सैनिटाइज़र, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी जरूरी बातों को भुला दिया है।
क्या भारत में फिर से डरावना दौर लौट सकता है?
अभी नहीं, लेकिन सतर्कता बेहद जरूरी है।
- एक्सपर्ट्स के अनुसार यह नया वैरिएंट डेल्टा जितना खतरनाक नहीं है।
- भारत में अभी तक ज़्यादा अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है।
- सिंगापुर में भी 3 मई तक ICU में सिर्फ 24 मरीज थे।
- हांगकांग में ज़्यादातर मौतें बुजुर्गों की हुई हैं जो पहले से बीमार थे।
किन लोगों को सबसे ज़्यादा खतरा?
- बुजुर्ग
- जिन्होंने बूस्टर डोज नहीं लिया
- डायबिटीज, हार्ट जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग
- कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग
क्या यह कोविड हमेशा लौटता रहेगा?
यह सवाल बहुत बड़ा है। लेकिन सच तो यह है कि अगर हम लापरवाह रहे तो वायरस को मौका मिलेगा लौटने का।
कोविड ने हमें साफ-सफाई, मास्क, दूरी और वैक्सीनेशन जैसी चीजें सिखाई थीं। लेकिन अगर हम इन्हें भूल जाएंगे, तो वायरस दोबारा दस्तक जरूर देगा।
निष्कर्ष: सतर्क रहिए, सुरक्षित रहिए
अब तक की स्थिति यह बताती है कि भारत में हालात अभी नियंत्रण में हैं, लेकिन सावधानी में ही सुरक्षा है।
- मास्क पहनिए
- सैनिटाइज़र का इस्तेमाल कीजिए
- भीड़ से बचिए
- और बूस्टर डोज जरूर लगवाइए
कोविड ने हमें पहले ही बहुत कुछ सिखाया है, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे दोहराने न दें।