दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे की, जिसने भारतीय समाज को सदियों तक प्रभावित किया। यह कहानी है राम मंदिर की, जिसकी नींव साल 1528 में मीर बाकी द्वारा रखी गई थी। मीर बाकी, जो बाबर का सेनापति था, ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया, और वह स्थान वही था, जहां प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। उस समय के मुगलों ने यहां एक मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाई थी, पर यह विश्वास न खोने वाली भारतीय जनता थी, जिन्होंने सदियों तक राम मंदिर के पुनर्निर्माण के सपने को जीवित रखा।
1528: मस्जिद का निर्माण और भारतीय आस्था का आरंभ
1528 में, बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। यह मस्जिद उस स्थान पर बनाई गई, जहां भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक श्रीराम का जन्म हुआ था। इस घटना ने न केवल हिन्दू समुदाय को आहत किया, बल्कि यह पूरे देश की धार्मिक आस्था को चुनौती दी।
1813: हिंदू संगठनों का आंदोलन
साल 1813 में एक रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया कि बाबरी मस्जिद के भीतर हिंदू मंदिर जैसी कलाकृतियां पाई गईं। इसके बाद हिंदू संगठनों ने यह दावा करना शुरू किया कि बाबर ने राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। यह दावा धार्मिक विवादों का कारण बना और अयोध्या में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। लेकिन इसके बावजूद हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय इस जगह पर पूजा और नमाज करते रहे।
1947: आजादी और राम मंदिर का सपना
1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, और हिंदू समाज को उम्मीद थी कि अब राम मंदिर बनवाया जाएगा। लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेताओं ने चुप्पी साध ली और कोई राजनीतिक समर्थन नहीं मिला। इसके बावजूद, हिंदू समाज ने इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखा, और 1949 में विवादित स्थल पर भगवान श्रीराम की मूर्ति रखी गई। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मूर्तियां भगवान श्रीराम के प्रकट होने से वहां रखी गईं, जबकि मुस्लिम पक्ष का आरोप था कि ये मूर्तियां रात के अंधेरे में रखी गईं।
1980-1990: राम मंदिर आंदोलन का उभार
1980 के दशक में बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन का समर्थन करना शुरू किया। साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने भी इस आंदोलन को तेज किया। 1984 में राम मंदिर के लिए रथ यात्रा शुरू हुई, जिसका नेतृत्व भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने किया। यह यात्रा लाखों लोगों को अयोध्या लेकर आई, और वहां राम मंदिर के लिए संकल्प लिया गया। हालांकि, इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई, और रथ यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया।
1990-1992: संघर्ष की चरम सीमा
1990 में, जब लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी रथ यात्रा शुरू की, तो कार सेवकों ने अयोध्या में विवादित स्थल पर झंडा फहराया। पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर कार सेवकों पर गोली चला दी गई, जिसमें कई लोग मारे गए। फिर 6 दिसंबर 1992 को, दो लाख कार सेवक अयोध्या में एकत्रित हुए और बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया।
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2019-2024: राम मंदिर का पुनर्निर्माण
राम मंदिर के पुनर्निर्माण की उम्मीदें अब 2019 में साकार हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, और 2 जनवरी 2024 को रामलला ने अपने निवास स्थान से बाहर आकर मंदिर में निवास करना शुरू किया। यह एक ऐतिहासिक पल था, जो सदियों के संघर्ष का परिणाम था।
इस संघर्ष में, हिंदू समाज ने न केवल धार्मिक आस्था के लिए संघर्ष किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की रक्षा करने का भी प्रयास किया। यह लंबी यात्रा, जो बाबरी मस्जिद के निर्माण से लेकर राम मंदिर के पुनर्निर्माण तक चली, एक ज्वाला थी जिसने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन अब एक नई शुरुआत के रूप में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।
Disclaimer: यह जानकारी ऐतिहासिक घटनाओं के संदर्भ में दी गई है, जो विभिन्न स्रोतों से ली गई है। हम इस जानकारी को शुद्ध रूप से ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर रहे हैं, और किसी भी व्यक्ति, समुदाय या संगठन को ठेस पहुँचाने का हमारा उद्देश्य नहीं है। इतिहास के इन घटनाओं को विभिन्न लोगों और समाजों द्वारा अलग-अलग तरीके से देखा गया है, और इस पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं।