जब बात स्मार्टफोन इंडस्ट्री की होती है, तो आज मार्केट में दो बड़े खिलाड़ी हैं – Android और iOS। Android लगभग 70% मार्केट शेयर पर कब्जा जमाए हुए है, जबकि iOS 19-20% शेयर के साथ मजबूत स्थिति में है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब Microsoft ने अपने Windows Phone को बड़े सपनों के साथ लॉन्च किया था। आज, वह सपने अधूरे रह गए हैं, और Windows Phone इतिहास के पन्नों में खो चुका है।
इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर Windows Phone क्यों फेल हुआ, जबकि इसके पास एक मजबूत शुरुआत और Microsoft का अनुभव था।
iPhone के आने से बदल गई दुनिया
2007 में जब Steve Jobs ने पहला iPhone लॉन्च किया, तो इसने पूरी स्मार्टफोन इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया। उस समय ज्यादातर फोन छोटे स्क्रीन और फिजिकल कीबोर्ड के साथ आते थे, जो उपयोगकर्ताओं के लिए सीमित अनुभव प्रदान करते थे। iPhone ने बड़ी टचस्क्रीन और आसान इंटरफेस के साथ इस समस्या को पूरी तरह बदल दिया।
इसके बाद, Google ने भी अपनी रणनीति बदली और 2008 में HTC Dream के साथ अपना पहला Android स्मार्टफोन लॉन्च किया। Apple और Google की इस टक्कर ने स्मार्टफोन इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल दिया।
Microsoft की Windows Phone की एंट्री
Microsoft का अनुभव इस इंडस्ट्री में नया नहीं था। 1995 में, उन्होंने हैंडहेल्ड पीसी लॉन्च किया था, जो मिनी-कंप्यूटर जैसा था। इसके बाद, 2003 में उन्होंने अपना Windows Mobile OS लॉन्च किया, जो उस समय कई कंपनियों के फोन में इस्तेमाल होता था।
2006 तक, Windows Mobile का मार्केट शेयर 50% तक था। लेकिन iPhone के लॉन्च के बाद Microsoft के CEO Steve Ballmer ने iPhone का मजाक उड़ाते हुए इसे “एक महंगा खिलौना” कहा। उन्हें लगा कि फिजिकल कीबोर्ड के बिना iPhone ज्यादा नहीं टिकेगा।
लेकिन यह गलतफहमी Microsoft को महंगी पड़ी। iPhone और Android ने बाजार पर कब्जा करना शुरू कर दिया।
Windows Phone की असफलता के कारण
- हार्डवेयर की उच्च मांग
Microsoft ने Windows Phone के लिए स्मार्टफोन निर्माताओं के सामने बेहद कड़ी हार्डवेयर शर्तें रखीं। हर कंपनी को Microsoft के तय किए गए स्टैंडर्ड्स का पालन करना पड़ता था, जिससे फोन महंगे हो जाते थे। इस कारण, कंपनियों ने Android को चुना, जो अधिक लचीलापन प्रदान करता था। - एप्स की कमी
Windows Phone के लिए ऐप डेवलपर्स को लुभाने में Microsoft सफल नहीं रहा। iOS और Android पर पहले से ही लाखों ऐप्स उपलब्ध थीं, जबकि Windows Store में बेहद कम विकल्प थे। - देर से शुरुआत
Microsoft ने 2010 में Windows Phone 7 लॉन्च किया, लेकिन तब तक Android और iOS बाजार पर अपनी पकड़ बना चुके थे। देर से आने के कारण Windows Phone को अपनाने वालों की संख्या कम रही। - स्मार्टफोन निर्माण में सीधा नियंत्रण न होना
Apple की तरह Microsoft अपने स्मार्टफोन खुद नहीं बनाता था। इसके बजाय, वह Nokia और अन्य निर्माताओं पर निर्भर था। लेकिन सख्त हार्डवेयर नियमों ने इन निर्माताओं को सीमित कर दिया।
iPhone और Android के दबदबे ने बढ़ाई मुश्किलें
Apple ने अपने iPhone को प्रीमियम सेगमेंट में स्थापित किया, जबकि Google ने बजट सेगमेंट पर कब्जा जमाया। दोनों के पास अलग-अलग रणनीतियां थीं, लेकिन दोनों ही बेहद सफल रहीं। Microsoft इस मुकाबले में अपनी जगह नहीं बना पाया।
Windows Phone का अंत
हालांकि Microsoft ने 2010 में Windows Phone 7 लॉन्च किया और बाद में Windows Phone 8 और 10 पर भी काम किया, लेकिन वह बाजार में अपनी पकड़ नहीं बना पाया। आखिरकार, 2017 में Microsoft ने Windows Phone का विकास पूरी तरह बंद कर दिया।
इसे भी पढ़ें:- बौद्ध धर्म: एक प्राचीन और प्रभावशाली धर्म का विस्तार
निष्कर्ष
Windows Phone की कहानी हमें सिखाती है कि तकनीक की दुनिया में सही समय पर सही कदम उठाना कितना जरूरी है। Microsoft के पास संसाधन और अनुभव तो थे, लेकिन रणनीति में गलतियां और Android तथा iOS के सामने लचीलापन न दिखाना, इसकी असफलता का कारण बना।
आज, स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर Android और iOS का दबदबा है, और Windows Phone सिर्फ एक अधूरी कहानी बनकर रह गया है।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है और पूरी तरह से सटीक या अद्यतन होने की गारंटी नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी तकनीकी या निवेश से संबंधित निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की हानि या नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।