जब भी हम Jaguar और Land Rover का नाम सुनते हैं, तो रतन टाटा और बिल फोर्ड की वह ऐतिहासिक कहानी याद आती है, जिसमें रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला Jaguar और Land Rover को खरीदकर लिया था। साल 2008 में टाटा मोटर्स ने Ford से इन दोनों लग्जरी कार ब्रांड्स को खरीदा और तब से यह टाटा मोटर्स के हिस्से बने हुए हैं।
टाटा मोटर्स भारत में सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक है और अपने कमर्शियल, पैसेंजर, और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सेगमेंट में शानदार प्रदर्शन कर रही है। लेकिन Jaguar और Land Rover यानी JLR की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है।
टाटा मोटर्स का दबदबा, लेकिन JLR बना सिरदर्द
टाटा मोटर्स का कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट भारत में 40% बाजार हिस्सेदारी के साथ लीड कर रहा है। वहीं, पैसेंजर कार सेगमेंट में इसकी हिस्सेदारी 14% है और यह भारत के टॉप-3 कार ब्रांड्स में शामिल है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बात करें तो 85% से ज्यादा मार्केट शेयर के साथ टाटा मोटर्स भारत में पूरी तरह से डोमिनेट कर रहा है।
लेकिन दूसरी तरफ, Jaguar और Land Rover लगातार घाटे में जा रहे हैं। साल 2022 में टाटा मोटर्स पर 48,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें सबसे बड़ा योगदान Jaguar और Land Rover का रहा। अकेले JLR हर साल 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि, टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन का कहना है कि 2024 के अंत तक टाटा मोटर्स पूरी तरह कर्ज मुक्त हो जाएगी, लेकिन JLR के घाटे को कम करने में थोड़ा और समय लग सकता है।
Jaguar और Land Rover आखिर टाटा मोटर्स के लिए समस्या क्यों बने हुए हैं?
जब टाटा मोटर्स ने 2008 में इन दोनों ब्रांड्स को खरीदा, तब ये अलग-अलग कंपनियां थीं, लेकिन 2013 में इनका मर्जर करके Jaguar Land Rover (JLR) बना दिया गया। Land Rover की सेल्स लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन Jaguar की स्थिति बेहद खराब है।
उदाहरण के लिए, 2021 में BMW ने 3,36,000 कारें बेचीं, जबकि उसी सेगमेंट में Jaguar सिर्फ 18,000 गाड़ियां ही बेच पाया। भारत में लग्जरी कार मार्केट में भी Jaguar की स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी है।
Jaguar की गिरावट की असली वजह
Jaguar कभी दुनिया का एक टॉप लग्जरी कार ब्रांड हुआ करता था। इसकी शुरुआत 1933 में विलियम लायंस ने की थी, और 1935 में पहली Jaguar कार लॉन्च हुई। शुरू में, यह ब्रिटिश मोटर होल्डिंग्स (BMH) का हिस्सा था और काफी सफल रहा।
लेकिन 1966 में ब्रिटिश सरकार के दबाव में इसे British Leyland के साथ मर्ज कर दिया गया, जिसके बाद Jaguar का पतन शुरू हो गया। कंपनी की रिसर्च और डेवलपमेंट क्षमता कमजोर हो गई, जिससे इसकी कारों की क्वालिटी गिरने लगी और मार्केट में इसकी साख कम होने लगी।
लगातार घाटे के कारण 1989 में Ford ने Jaguar को 2.5 बिलियन डॉलर में खरीद लिया। बाद में 2000 में Ford ने Land Rover को भी खरीद लिया, जिससे दोनों ब्रांड्स एक ही मालिक के पास आ गए। लेकिन Ford कभी भी लग्जरी कार ब्रांड को ठीक से मैनेज नहीं कर पाया। आखिरकार, 2008 में Ford ने इन दोनों ब्रांड्स को 2.3 बिलियन डॉलर में टाटा मोटर्स को बेच दिया।
टाटा मोटर्स ने JLR को बचाने के लिए क्या किया?
टाटा मोटर्स ने Jaguar और Land Rover को खरीदने के बाद सबसे पहले एक मजबूत कैश मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया और 2009 में 1.5 बिलियन डॉलर इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में निवेश किए। 2013 में इन्हें मर्ज कर Jaguar Land Rover (JLR) बनाया गया।
टाटा के प्रयासों से 2013 में JLR ने 46 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया। लेकिन टाटा मोटर्स के पास भी लग्जरी कार बनाने का कोई अनुभव नहीं था, जिसकी वजह से JLR की मैनेजमेंट टीम पर पूरी जिम्मेदारी आ गई। लेकिन कई बदलावों के बावजूद इनोवेशन की कमी बनी रही और JLR अपनी स्थिति को सुधार नहीं पाया।
2010 से 2018 तक JLR ने ठीक-ठाक बिजनेस किया, लेकिन 2019 से फिर से घाटे का दौर शुरू हो गया। 2020 में JLR को 3.6 बिलियन पाउंड का नुकसान हुआ, और तब से स्थिति लगातार खराब बनी हुई है।
JLR के घाटे का सबसे बड़ा कारण क्या है?
JLR का सबसे बड़ा बाजार यूरोप और चीन है, जहां SUVs की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन Jaguar 2017-18 तक कोई भी SUV नहीं बना रहा था, जबकि उसके कॉम्पिटिटर्स (BMW, Audi, Mercedes) ने समय रहते SUVs पर फोकस किया।
दूसरी तरफ, Land Rover की स्थिति ठीक है क्योंकि यह SUV ब्रांड है, लेकिन Jaguar की गिरती सेल्स JLR के पूरे बिजनेस को घाटे में डाल रही है।
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क्या टाटा मोटर्स Jaguar और Land Rover को बेचेगा?
अब सवाल उठता है कि क्या टाटा मोटर्स JLR को बेच देगा?
फिलहाल, टाटा मोटर्स ने JLR को बेचने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए भविष्य में टाटा मोटर्स इसे बेचने पर विचार कर सकता है।
हालांकि, टाटा मोटर्स ने JLR को बचाने के लिए कई नई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में विस्तार सबसे महत्वपूर्ण है। अगर JLR इलेक्ट्रिक कार्स के जरिए खुद को दोबारा स्थापित कर पाता है, तो हो सकता है कि टाटा मोटर्स इसे बनाए रखे।
निष्कर्ष
Jaguar और Land Rover कभी दुनिया के टॉप लग्जरी कार ब्रांड्स थे, लेकिन गलत मैनेजमेंट और इनोवेशन की कमी के कारण आज JLR लगातार घाटे में जा रहा है। टाटा मोटर्स ने इसे सुधारने की कोशिश की है, लेकिन अब भी JLR का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।