केक, साज़िश और ज्योति मल्होत्रा: क्या ये सिर्फ इत्तेफाक है या कुछ ज़्यादा?

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी कहानी की जो सिर्फ एक इन्फ्लुएंसर के विदेशी सफर तक सीमित नहीं है। ये कहानी एक ऐसे वक्त पर सामने आई है जब देश की ज़मीन पर मासूमों का खून बहा था और उसी समय दिल्ली में केक काटकर जश्न मनाया जा रहा था। सवाल उठते हैं — क्या ये सब इत्तेफाक था? या फिर इसके पीछे एक गहरी साजिश है? इस कहानी के केंद्र में हैं ज्योति मल्होत्रा — एक इन्फ्लुएंसर, जिनकी गतिविधियां अब शक के घेरे में हैं।

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पहलगाम नरसंहार और दिल्ली में केक

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में एक भयावह आतंकी हमला हुआ, जिसमें 28 बेगुनाह टूरिस्ट मारे गए। उसी समय दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में एक पार्टी चल रही थी, जहां केक काटा जा रहा था। और हैरानी की बात ये है कि इस पार्टी में मौजूद था वही शख्स जो अब एक वायरल तस्वीर में ज्योति मल्होत्रा के साथ नजर आ रहा है। ये तस्वीर लोगों के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसी लगी और सवाल उठने लगे — क्या ज्योति भी इस जश्न का हिस्सा थी?


क्या ज्योति मल्होत्रा का इन सब से कोई लिंक है?

जब ये तस्वीर सामने आई तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। सवाल यह था कि क्या ज्योति मल्होत्रा उस “केक वाले” आदमी की दोस्त थी? क्या वो पाकिस्तान हाई कमीशन में हो रही पार्टी में शामिल थीं, उसी वक्त जब पहलगाम खून से लाल हो चुका था? इतने सारे इत्तेफाक एकसाथ होना एक बड़ी साजिश की तरफ इशारा करता है।


इत्तेफाक या साजिश?

ज्योति मल्होत्रा जनवरी 2025 में पहलगाम गईं — एक ऐसा वक्त जब आमतौर पर सैलानी वहां नहीं जाते क्योंकि सर्दियों में बर्फ से सब कुछ ढका होता है। इसके बाद मार्च में वो पाकिस्तान जाती हैं और अप्रैल में पहलगाम में हमला होता है। इतना ही नहीं, जिस समय हमला होता है, उसी समय जिस शख्स को केक लाते हुए देखा गया, वो वही आदमी बताया जा रहा है जो ज्योति के साथ दिल्ली की इफ्तार पार्टी में हंसते हुए दिखा।

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पाकिस्तानी नेताओं और अधिकारियों से संबंध?

अब सवाल यह है कि एक सामान्य इन्फ्लुएंसर को पाकिस्तान का वीजा इतनी बार कैसे मिला? दो साल में तीन बार पाकिस्तान कैसे गई? वो पाकिस्तान की नेताओं जैसे मरियम नवाज, दानिश और ISI अधिकारी शाकिर (जिसे वो जट रंधावा नाम से सेव करती थी) से कैसे मिलती है? यही नहीं, वो इन अधिकारियों के साथ बाली जैसी जगहों पर घूमती भी है।


ज्योति और पहलगाम हमले की टाइमलाइन

हिसार पुलिस ने साफ किया कि ज्योति पाकिस्तान हाई कमीशन में उठती-बैठती थीं। उनका ISI के साथ सीधा संपर्क था। उन्होंने कई “स्पॉन्सर्ड ट्रिप्स” पर पाकिस्तान यात्रा की। हमले से पहले वो पहलगाम गईं, मार्च में पाकिस्तान गईं, और फिर अप्रैल में हमला हुआ। क्या ये सब एक इत्तेफाक है? या फिर इन सबके पीछे कोई बड़ी प्लानिंग थी?


जिओ टैगिंग और डिजिटल सबूत

ज्योति की पहलगाम यात्रा की तस्वीरें और वीडियो सामने आए जिसमें लोकेशन टैगिंग की गई थी। सवाल ये है कि क्या इन्हीं जिओ टैग्स की मदद से आतंकियों को लोकेशन का पूरा खाका मिला? 2018 में भी ऐसी ही टेक्नोलॉजी के ज़रिए अमेरिकी सैन्य ठिकानों की जानकारी लीक हुई थी। तो क्या ज्योति की गतिविधियां सिर्फ एक टूरिस्ट की तरह थीं या वो किसी और मकसद से वहां गई थीं?


हमले से पहले का संवाद

हिसार के एसपी का कहना है कि ज्योति हमले से पहले ISI के अधिकारी दानिश से लगातार संपर्क में थी। और जब हमला हुआ, तो उन्होंने बयान दिया — “सभी दोषी हैं”, जिसमें उन्होंने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिए, जबकि पाकिस्तान पर कोई टिप्पणी नहीं की। क्या ये भी ISI के नैरेटिव को सपोर्ट करने वाला बयान था?


एनआईए को करनी होगी गहन जांच

अब यह मामला सिर्फ एक सोशल मीडिया विवाद नहीं रहा। एनआईए को इस पूरी कहानी की बारीकी से जांच करनी होगी। क्योंकि:

  • जनवरी में पहलगाम यात्रा
  • मार्च में पाकिस्तान यात्रा
  • अप्रैल में आतंकी हमला
  • ISI से जुड़ाव
  • केक पार्टी की तस्वीरें

ये सभी कड़ियां सिर्फ इत्तेफाक नहीं लगतीं।


निष्कर्ष: मासूमियत या साजिश?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ज्योति एक मासूम इन्फ्लुएंसर थीं जो अनजाने में इस जाल में फंस गईं? या फिर वो इस साजिश की अहम कड़ी थीं? क्या वो सिर्फ एक मोहरा थीं या दुश्मन की चाल को अंजाम देने वाली एक एजेंट? इसका जवाब जल्द ही सामने आना चाहिए, क्योंकि देश की सुरक्षा से जुड़ा हर सवाल बेहद गंभीर होता है।


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