दोस्तों, आपने 1992 में हर्षद मेहता के स्टॉक मार्केट घोटाले के बारे में जरूर सुना होगा, जिसे कई फिल्मों और वेब सीरीज़ में दिखाया गया है। इसी तरह का एक और बड़ा घोटाला हुआ था, लेकिन इस बार मास्टरमाइंड था कर्नाटका के एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर फल बेचने वाला लड़का, जिसका नाम था अब्दुल करीम तेलगी। तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इस लड़के ने 10,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का घोटाला कर दिया और कैसे सरकार को इसे लीगल मानना पड़ा।
अब्दुल करीम तेलगी का संघर्षपूर्ण जीवन
अब्दुल करीम तेलगी का जन्म 1961 में कर्नाटका के बेलगाम जिले के खानपुर में हुआ था। उनके पिता भारतीय रेलवे में काम करते थे, और उनका परिवार अच्छी आर्थिक स्थिति में था। लेकिन जब अब्दुल सिर्फ 7 साल का था, तब उसके पिता का निधन हो गया और परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। अब्दुल और उसके भाई रेलवे स्टेशन पर फल बेचने लगे ताकि घर का खर्च चल सके। हालांकि, अब्दुल की पढ़ाई में रुचि थी और उसने मेहनत करके अपने स्कूल की फीस भी फल बेचकर पूरी की।
मुंबई में संघर्ष और अरब जाने का निर्णय
अब्दुल करीम ने खानपुर के सर्वोदय विद्यालय से बीकॉम की डिग्री प्राप्त की, लेकिन जब जॉब की तलाश की तो उसे कई जगह से बाहर कर दिया गया क्योंकि उसकी आलसी आदतें और काम के प्रति कमीटमेंट नहीं था। इसके बाद, उसने मुंबई जाने का फैसला किया, ताकि वह अपने सपनों को पूरा कर सके।
मुंबई में भी उसकी किस्मत साथ नहीं दी। यहां भी उसे नौकरी नहीं मिली और फिर उसने सऊदी अरब जाने का फैसला किया, जहां उसने अच्छा पैसा कमाया। हालांकि, वह इतने पैसे से अपनी अय्याशियों को पूरा नहीं कर सका।
फर्जी दस्तावेजों के कारोबार की शुरुआत
सऊदी अरब में रहते हुए, अब्दुल ने देखा कि कई भारतीयों के पास जरूरी डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, जिसकी वजह से वे सऊदी अरब नहीं जा पाते थे। इस खामी का फायदा उठाकर उसने एक एजेंसी शुरू की जिसका नाम “अरब मेट्रो ट्रेवल्स” था। इस एजेंसी के जरिए अब्दुल उन लोगों को शेख पासपोर्ट और वीजा दिलवाता था, जिनके पास सही डॉक्यूमेंट्स नहीं थे।
स्टांप पेपर घोटाला – 2003
अब्दुल ने जल्द ही समझ लिया कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था में स्टांप पेपर का कितना महत्व है। ये पेपर प्रॉपर्टी डील, बिजनेस कॉन्ट्रैक्ट, लीगल केस और शादी जैसे कई डॉक्युमेंट्स के लिए उपयोग होते हैं। अब्दुल ने स्टांप पेपर के कारोबार में घोटाले का प्लान बनाया और नकली स्टांप पेपर बनाने का काम शुरू किया। उसने सिक्योरिटी प्रेस से पुरानी प्रिंटिंग मशीन खरीदी और उसे रिपेयर कराकर नकली स्टांप पेपर तैयार करने लगा। उसने एक पूरी टीम बनाई, जिसमें 350 से ज्यादा लोग काम करते थे।
घोटाला कैसे फैला
इस स्टांप पेपर घोटाले ने भारत के 25 राज्यों के 70 से ज्यादा शहरों में फैल चुका था। अब्दुल करीम ने सरकारी अधिकारियों से रिश्वत लेकर अपने धंधे को चलाया और इस घोटाले से करोड़ों रुपये कमाए। हालांकि, इतना बड़ा घोटाला करने के बावजूद उसे पकड़ने में कोई सफलता नहीं मिल रही थी, क्योंकि उसने पुलिस से लेकर बड़े राजनेताओं तक को खरीद लिया था।
अब्दुल करीम की गिरफ्तारी और घोटाले का खुलासा
2001 में बेंगलुरु पुलिस को यह घोटाला पता चला, जब उन्होंने एक ट्रक से चुराए गए स्टांप पेपर्स की पहचान की। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और जल्द ही अब्दुल करीम तक पहुँच गई। वह फरार हो गया, लेकिन बाद में अजमेर शरीफ दरगाह से गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई ने इसकी पूरी जांच की और अब्दुल के खिलाफ कई बड़े नामों की जांच की, जिनमें कई पॉलिटिशियंस और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।
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अब्दुल करीम की संपत्ति और जीवन का अंत
अब्दुल करीम की संपत्ति का सही आकलन आज तक नहीं हो सका, लेकिन अनुमान है कि उसने 10,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये के बीच की संपत्ति बनाई थी। उसने अपनी अय्याशी की जिन्दगी का खूब आनंद लिया, लेकिन अंततः उसे उसके किए का परिणाम भुगतना पड़ा। सीबीआई ने उसकी 36 प्रॉपर्टी का खुलासा किया, और इस मामले ने देशभर में हलचल मचा दी।
तो दोस्तों, यह था अब्दुल करीम तेलगी का पूरा कहानी, जिसमें दिखाया गया कि कैसे एक छोटे से लड़के ने एक ऐसा घोटाला किया कि सरकार को इसे लीगल मानने पर मजबूर होना पड़ा।
अस्वीकरण
इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है और यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। अब्दुल करीम तेलगी और स्टांप पेपर घोटाले की कहानी, जैसा कि यहां विवरणित किया गया है, ऐतिहासिक घटनाओं का पुनर्कथन है। जबकि सटीकता सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए गए हैं, हम प्रस्तुत जानकारी की पूर्णता या सहीता की गारंटी नहीं देते हैं। व्यक्त किए गए विचार, राय और व्याख्याएं केवल लेखक के हैं और यह किसी भी व्यक्ति, संगठन या मामले में शामिल किसी भी इकाई के विचारों को नहीं दर्शाते हैं।