शुरुआत और शंकर का संघर्ष
मई 2023 का समय। 41 वर्षीय शंकर, जो कभी भारतीय नौसेना का गौरवशाली सैनिक था, अब कंबोडिया के सिहानौकविले शहर की एक अंधेरी काल कोठरी में भूखा-प्यासा, घायल और लगभग मौत के कगार पर पड़ा था। यह कहानी किसी फिल्म जैसी लगती है, लेकिन यह सच्चाई थी। शंकर ने भारतीय नौसेना में 15 साल सेवा की, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई।
विशाखापट्टनम लौटने के बाद शंकर ने नौकरियों की तलाश शुरू की। कई कंपनियों में कोशिश की, नौकरी मेलों में भाग लिया, और यहां तक कि आग और सुरक्षा का कोर्स भी किया। फिर भी, या तो अनुभव की कमी, या जातिगत भेदभाव के कारण उन्हें हर जगह नकारा गया।
ठगी और निराशा का सफर
शंकर ने एक एजेंसी को 6 लाख रुपये दिए, जो उन्हें पोलैंड में नौकरी दिलाने का वादा कर रही थी। लेकिन एजेंट पैसे लेकर भाग गया। रिटायरमेंट के पांच साल बाद शंकर की स्थिति इतनी खराब हो गई कि वह निराशा और गुस्से से भर गया।
सिंगापुर का सपना, कंबोडिया का जाल
शंकर की किस्मत ने फिर करवट ली जब सिंगापुर में रहने वाले एक रिश्तेदार तिरुमाला ने फोन किया। उसने शंकर को सिंगापुर में एक डाटा एंट्री की अच्छी नौकरी का वादा किया। शंकर, जो कई बार ठगे जा चुके थे, फिर भी डॉलर कमाने के लालच में तैयार हो गए। लेकिन, जब उन्हें फ्लाइट का टिकट मिला, तो वह सिंगापुर की बजाय कंबोडिया का था।
तिरुमाला ने उन्हें समझाया कि यह “बस एक प्रक्रिया” है। मजबूरी में, शंकर कंबोडिया पहुंच गए। यहां की ऊंची-ऊंची इमारतों और भारी सुरक्षा देखकर उनके होश उड़ गए। शुरुआत में, उन्होंने छह कंपनियों में इंटरव्यू दिए, लेकिन असफल रहे। फिर एक कंपनी ने उन्हें काम पर रखा।
साइबर गुलामी का अड्डा
कंपनी ने शंकर का पासपोर्ट ले लिया और उन्हें काम करने पर मजबूर किया। असली खेल तब शुरू हुआ जब उनके चीनी बॉस ने हंसते हुए कहा, “तेरा पासपोर्ट अब हमारे पास है। तू यहां से भाग नहीं सकता।” धीरे-धीरे शंकर को एहसास हुआ कि वह एक धोखाधड़ी के जाल में फंस चुके हैं।
यहां शंकर जैसे लोगों को साइबर ठगी के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। उन्हें नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर अमीर व्यापारियों को ठगने का काम सिखाया गया। उन्हें निर्देश दिया गया कि कैसे लोगों से दोस्ती करें, रोमांटिक रिश्ते बनाएं और फिर उन्हें ठगें।
ठगी के तरीके
यह ठगी का खेल “पिग बाचिंग स्कैम” कहलाता है। इसमें अमीर व्यापारियों को प्यार और रिश्तों के झांसे में फंसाकर उनकी सारी संपत्ति हड़प ली जाती है। यहां तक कि कॉल गर्ल्स और ड्रग्स का इस्तेमाल भी किया जाता था।
सजा और शोषण
काम पूरा न करने पर शंकर जैसे नए कर्मचारियों को सजा दी जाती थी। खाने-पीने में कटौती होती, और विरोध करने वालों को बिजली के झटके दिए जाते। यहां कर्मचारियों को शराब और पार्टियों का लालच देकर और फंसाया जाता।
शंकर का संघर्ष और जज्बा
हालांकि शंकर भारतीय नौसेना का पूर्व अधिकारी था। उसने अपने साहस और तरकीबों से इस नर्क से निकलने की योजना बनाई। क्या वह सफल हुआ? यह एक अलग कहानी है, लेकिन शंकर की यह कहानी एक सबक है—विदेशी नौकरियों के झूठे वादों से बचें।
इसे भी पढ़ें:- रॉयल एनफील्ड: एक इमोशन, एक आइकॉनिक ब्रांड की कहानी
निष्कर्ष
शंकर की कहानी केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह हजारों लोगों की कहानी है जो बेहतर जीवन के सपने में ठगे जाते हैं। विदेश जाने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें और लालच से बचें। आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दिए गए घटनाक्रम और परिस्थितियाँ किसी भी व्यक्ति या समूह को आहत करने या बदनाम करने के लिए नहीं हैं। अगर यह कहानी किसी के साथ मेल खाती है, तो यह मात्र संयोग हो सकता है। हम किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों या धोखाधड़ी का समर्थन नहीं करते हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे सावधान रहें और किसी भी संदिग्ध अवसर या प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करें।