क्या आपने कभी Campa Cola का नाम सुना है? अगर हां, तो आप इसकी पुरानी यादों में खो गए होंगे, और अगर नहीं, तो जल्द ही यह नाम फिर से चर्चा में आने वाला है। 70 और 80 के दशक में भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट पर राज करने वाला यह ब्रांड अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में जबरदस्त वापसी की तैयारी में है। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक वक्त़ Campa Cola मार्केट से गायब हो गई, और अब यह फिर से अपनी पहचान बनाने जा रही है? आइए इस पूरे सफर को विस्तार से समझते हैं।
Coca-Cola और Pepsi की एंट्री से Campa Cola की शुरुआत
Coca-Cola की शुरुआत 1886 में अमेरिका के अटलांटा से हुई थी, लेकिन भारतीय बाज़ार में इसे 1956 में एंट्री मिली। शुरुआती दौर में Coca-Cola को भारत में जबरदस्त सफलता मिली क्योंकि इसका कोई बड़ा प्रतिस्पर्धी नहीं था। लेकिन 1974 में जब भारत सरकार ने Foreign Exchange Regulation Act (FERA) लागू किया, तब सभी विदेशी कंपनियों को अपने 60% शेयर भारतीय कंपनियों को देने और अपने प्रोडक्ट की तकनीकी जानकारी साझा करने का आदेश मिला। Coca-Cola ने इस नियम को मानने से इनकार कर दिया और 1977 में भारत छोड़ना पड़ा।
Coca-Cola के जाने से भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री में एक बड़ा खालीपन आ गया था। इसी मौके का फायदा उठाते हुए Campa Cola का जन्म हुआ। इसे 1977 में चरणजीत सिंह द्वारा लॉन्च किया गया था, जो पहले Coca-Cola की बॉटलिंग और मार्केटिंग का काम संभालते थे। Campa Cola आते ही बाज़ार में छा गई और लोगों ने इसे हाथोंहाथ लिया। इसका “The Great Indian Taste” स्लोगन भी काफी पॉपुलर हुआ।
Campa Cola का स्वर्णिम दौर
Campa Cola ने अपने पहले ही साल में तगड़ी सफलता पाई। इसके बाद कंपनी ने Campa Orange और Campa Lemon जैसे फ्लेवर्स भी लॉन्च किए, जो लोगों को बेहद पसंद आए। जल्द ही इसने पूरे भारत में 50 से ज्यादा फैक्ट्रियां खोल दीं और बाज़ार पर इसका दबदबा बढ़ता चला गया। 15 सालों तक Campa Cola और Thums Up भारतीय बाज़ार के सबसे बड़े ब्रांड बने रहे।
Campa Cola की सफलता का सबसे बड़ा कारण इसकी जबरदस्त मार्केटिंग स्ट्रेटेजी थी। इसने युवाओं को टारगेट किया और सलमान खान को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। इसकी “Great Indian Taste” टैगलाइन लोगों के दिलों में बस गई और भारतीय ग्राहकों ने इसे एक देसी विकल्प के रूप में अपनाया।
Campa Cola का पतन: Coca-Cola और Pepsi की वापसी
1991 में जब भारत में Economic Liberalization (आर्थिक उदारीकरण) शुरू हुआ, तो सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए बाज़ार के दरवाजे खोल दिए। इसके बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत में एंट्री ली, जिनमें Coca-Cola भी शामिल थी। Coca-Cola ने 1993 में भारत में वापसी की और आते ही तगड़ी मार्केटिंग शुरू कर दी। Pepsi ने पहले ही 1989 में अपनी वापसी कर ली थी।
Pepsi और Coca-Cola के पास जबरदस्त फंडिंग थी। उन्होंने बड़े पैमाने पर मार्केटिंग कैंपेन चलाए और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई ऑफर्स पेश किए। इसका असर यह हुआ कि भारतीय उपभोक्ताओं ने फिर से Coca-Cola और Pepsi की ओर रुख करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे Campa Cola की बिक्री घटने लगी और अन्य देसी ब्रांड्स की तरह यह भी बाज़ार से गायब होने लगी।
2001 में Campa Cola को अपना दिल्ली स्थित बॉटलिंग प्लांट बंद करना पड़ा, और 2009 तक यह सिर्फ हरियाणा के कुछ इलाकों तक सीमित रह गई।
अब Campa Cola की धमाकेदार वापसी!
अब Reliance Industries ने Campa Cola को ₹22 करोड़ में खरीद लिया है और इसे दोबारा बाज़ार में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। रिलायंस का लक्ष्य है कि Campa Cola को फिर से एक मजबूत भारतीय सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड बनाया जाए, जो Coca-Cola और Pepsi को टक्कर दे सके।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी पहले ही FMCG सेक्टर में एंट्री की घोषणा कर चुके हैं, और Campa Cola की वापसी इसी रणनीति का हिस्सा है। कंपनी इसे भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने की योजना बना रही है, और जल्द ही यह आपके नजदीकी स्टोर या मॉल में उपलब्ध होगी।
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क्या Campa Cola फिर से छा पाएगी?
Coca-Cola और Pepsi आज भी भारतीय मार्केट पर हावी हैं, लेकिन देसी ब्रांड्स के लिए लोगों की भावनाएं मजबूत हैं। अगर Campa Cola सही प्राइसिंग और शानदार मार्केटिंग के साथ वापसी करती है, तो यह निश्चित रूप से इन दिग्गज ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे सकती है।