सरोगेट एड्स: कैसे छुपकर किया जा रहा है गुटका और शराब का प्रचार?

2003 में भारतीय सरकार ने गुटका, सिगरेट और अल्कोहल जैसे प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों को बैन कर दिया था। लेकिन आज भी इनका प्रमोशन बड़े पैमाने पर जारी है। एक वीडियो में शाहरुख खान के प्रचार को देखकर एक 10 साल का बच्चा कहता है कि “शाहरुख खान भी गुटका खाता है।” लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाहरुख खान ने कभी गुटके का सीधा विज्ञापन किया ही नहीं है? दरअसल, “विमल बोलो जुबा केसरी” जैसे प्रचार गुटके के नहीं बल्कि केसरयुक्त इलायची के होते हैं। इसे सरोगेट एड्स कहते हैं, जहां बैन प्रोडक्ट्स को अप्रत्यक्ष तरीके से प्रमोट किया जाता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

सरोगेट एड्स की सच्चाई

सरोगेट एड्स में कंपनियां अपने बैन प्रोडक्ट्स का विज्ञापन उनके नाम से मिलते-जुलते प्रोडक्ट्स के जरिए करती हैं। जैसे, “इंपीरियल ब्लू” शराब का ब्रांड है, लेकिन टीवी पर इसका ऐड “म्यूजिक सीडी” के नाम से दिखाया जाता है। इसी तरह, “कमला पसंद” और “विमल” जैसे विज्ञापनों में इलायची का प्रचार किया जाता है, लेकिन असल मकसद गुटके का ब्रांड नाम आपके दिमाग में बैठाना होता है। इन विज्ञापनों से लोगों को यह गलतफहमी होती है कि सेलिब्रिटीज गुटका या पान मसाला का इस्तेमाल करते हैं।

गुटका और पान मसाला पर प्रतिबंध क्यों?

90 के दशक में कई बड़े सेलिब्रिटीज जैसे अक्षय कुमार ने रेड एंड वाइट सिगरेट का विज्ञापन खुलेआम किया। लेकिन 2000 की शुरुआत में यह देखा गया कि ओरल कैंसर से हर साल लाखों लोग मर रहे हैं। इसके बाद सरकार ने 2003 में एक्ट नंबर 34 के तहत इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, 2010 में हुए ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार, भारत में 65 करोड़ लोग गुटका चबाते हैं। आज भी गुटका का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है, जिससे हर साल कैंसर के हजारों मामले सामने आते हैं।

सरोगेट एड्स का तरीका और नुकसान

कंपनियां अपने बैन प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग, टैगलाइन और ब्रांड नेम से मिलते-जुलते प्रोडक्ट्स बनाती हैं। जैसे, “इंपीरियल ब्लू” के ऐड में म्यूजिक सीडी दिखाना, लेकिन असल में शराब का प्रचार करना। यह रणनीति ग्राहकों के दिमाग में ब्रांड नेम बैठाने के लिए की जाती है। इन एड्स को देखकर लोग सोचते हैं कि यह प्रोडक्ट्स जीवनशैली का हिस्सा हैं, और इन्हें कंज्यूम करना आम बात है। इसका नतीजा यह होता है कि युवा लोग कम उम्र में ही सिगरेट, शराब और गुटके की लत में फंस जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

गुटका और पान मसाला में अंतर

गुटका और पान मसाला में बारीक अंतर है। पान मसाला में सुपारी, मसाले और खुशबू जैसे सामान्य तत्व होते हैं। इसे फूड प्रोडक्ट माना जाता है, इसलिए इस पर बैन नहीं है। लेकिन जब इसमें तंबाकू मिलाया जाता है, तो वह गुटका बन जाता है, जो ओरल कैंसर का कारण बनता है। हालांकि, पान मसाला में भी सुपारी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत

गुटका, सिगरेट और शराब के सेवन से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। फैटी लीवर, हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनसे बचाव के लिए मेडिकल खर्चों की तैयारी करना जरूरी है। हेल्थ इंश्योरेंस ऐसे खर्चों में सहायक हो सकता है। हालांकि, स्पैम कॉल्स और गलत नीतियों से बचने के लिए भरोसेमंद प्लेटफॉर्म का चुनाव करना चाहिए।

इसे भी पढ़ें:- TCS: भारत की वह IT कंपनी जिसने दुनिया को चौंका दिया!

निष्कर्ष

गुटका और पान मसाला के विज्ञापन भले ही प्रतिबंधित हैं, लेकिन सरोगेट एड्स के जरिए इनका प्रचार चालाकी से किया जा रहा है। लोगों को जागरूक होने और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जरूरत है। इसके साथ ही, सही हेल्थ इंश्योरेंस का चयन करना भी एक स्मार्ट निर्णय होगा।

डिस्क्लेमर:

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य किसी उत्पाद को बढ़ावा देना या प्रोत्साहित करना नहीं है। गुटका, सिगरेट, शराब और तंबाकू से जुड़े उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं। इनका सेवन करने से गंभीर बीमारियां, जैसे कैंसर, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हमारा उद्देश्य इन विषयों पर जागरूकता बढ़ाना है ताकि लोग समझदारी से निर्णय ले सकें। यदि आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो कृपया डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करें।